लखनऊ। सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के हजारों कर्मचारियों ने धरना देते हुए आमसभा कर मुख्यमंत्री को सम्बोधित जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त के माध्यम से ज्ञापन दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इसी महीने दशहरा एवं दीपावली दोनों त्योहार पड़े हैं। इस पर ध्यान देते हुये माह जुलाई 2022 से मिलने वाला 4 प्रतिशत डीए , बीआर का शासनादेश जारी किया जाए। साथ ही साथ 23 सूत्रीय मांगों के सम्बन्ध में न केवल संगठन बल्कि पेंशन निदेशक ने भी शासन को पत्र लिखकर निस्तारण के लिए अनुरोध किया है। इसके अलावा कै शलेस चिकित्सा की परिपक्व व्यवस्था न होने के कारण 15 दिन तक सम्बन्धित वेबसाइट बन्द रहती है। ऐसे में कार्ड बनवाने के लिए पेंशनर को बहुत ज्यादा दौड़ धूप करनी पड़ रही है। इस दौरान आमसभा की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष जंगद सिंह एवं संचालन जिला मंत्री आरसी उपाध्याय द्वारा किया गया। धरने को सम्बोधित करते हुये प्रान्तीय अध्यक्ष अमर नाथ यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीएल कुशवाहा और महामंत्री ओपी त्रिपाठी ने बताया कि अधिकांश जिलों से प्राप्त टेलीफोनिक सूचना के अनुसार हजारों पेंशनरों द्वारा धरना देकर असंतोष जाहिर किया है तथा अनेक पत्रों और कार्यक्रम किये जाने के बावजूद अभी तक सरकार ने कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की है। यहां तक कि कैशलेस चिकित्सा के मद में 20 लाख से अधिक कर्मचारियों, पेंशनरों के इलाज के निमित्त मात्र कुछ लाख रुपये ही भेजे गये हैं। इस धनराशि से लाखों कर्मचारियों ,पेंशनरों ,पारिवारिक पेंशनरों का इलाज तो सम्भव नहीं दिखता है। लम्बे समय से एनपीएस की जगह पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।अगर एनपीएस नहीं भी खत्म किया गया तो कम से कम भारत सरकार को अपनी संस्तुति के साथ उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र तो लिखना चाहिये कि सरकारी कर्मचारियों को इस नई व्यवस्था से बाहर निकाला जाए।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिल 6-6 महीने तक लंबित पड़ रहते हैं लेकिन उसका सम्बन्धित को भुगतान नहीं मिल पाता है। जैसा कि सूचनाएं मिल रही हैं कि सरकार की आर्थिक स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है,लेकिन पेंशनरों, परिवारिक पेंशनरों, शिक्षकों को डीए की फीजिंग अवधि 18 महीने का एरियर देने प्रदेश सरकार विचार ही नहीं कर रही है। पेंशनर से राशिकृत भाग की वापसी 15 वर्षों में की जा रही है, जबकि राशिकरण पहले 125 रूपये से घटाकर इस समय लगभग 89 रुपये पर पहुंचा दिया है। इसकी वसूली साढ़े सात वर्ष में हो जाती है। इसे 15 वर्ष तक काटने का क्या औचित्य है। लगातार पेंशनरों की मांग है कि इस राशिकृत भाग को 10 वर्ष पर पुर्नजीवित कर दिया जाये अनेक राज्यों ने यह अवधि घटा भी दी है। अभी विगत 12 अक्टूबर को गुजरात सरकार ने यह अवधि 13 वर्ष कर दी है। कई राज्यों में यह कटौती 12 वर्ष पर बन्द की जा रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार एक बात भी सुनने को तैयार नहीं है। अखिल भारतीय राज्य पेंशनर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष एसपी सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर 3 नवम्बर को मांग दिवस के रुप में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें इस संगठन द्वारा भी भाग लिए जाने की अपील की गयी। इस मौके पर उमाशंकर उपाध्याय, अशोक कुमार मौर्य, जी.एस कुशवाहा, अरविन्द निगम, एसके मिश्र, रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय , अम्बरीश अग्निहोत्री नरेन्द्र कुमार, गिरीश चन्द्र, कमलेश पाठक, गंगाधर निरंकारी, एसके अवस्थी, ज्ञान प्रकाश अस्थाना, जेएस मलिक, गंगाराम यादव, बाबूलाल, कमलेश्वर तिवारी, नन्द किशोर शर्मा, राजेन्द्र सोनी, मुहम्मद अख्तर, शंकरलाल मिश्र आदि वक्ताओं ने सभा को सम्बोधित करते हुये लंबित मांगों के निराकरण न होने पर असंतोष व्यक्त किया।