उत्तरप्रदेश | अंखफोड़वा कांड की विवेचना करने वाला दरोगा दशकों तक आई सर्जरी की प्रैक्टिस कर चुके विशेषज्ञों से ज्यादा जानकार बन गया. विशेषज्ञों ने आराध्या आई हास्पिटल के ऑपरेशन थिएटर में बैक्टीरिया की भरमार पाई थी, जिसकी वजह से संक्रमण फैला और छह लोगों की आंखें फूट गईं. इसी रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई पर दरोगा ने इसे कोई महत्व नहीं दिया. सीधे मरीजों को ही लापरवाही का दोषी मान कर फाइनल रिपोर्ट लगा दी.
आराध्या अस्पताल के डॉ. नीरज गुप्ता, एजेंट दुर्गेश पर एफआईआर दर्ज कराने वाले तत्कालीन एसीएमओ डॉ. एसके सिंह अब कासगंज में तैनात हैं. उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज की नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन, एसीएमओ डॉ. सुबोध प्रकाश, वरिष्ठ सर्जन प्रो.परवेज खान सहित पांच डॉक्टरों की टीम ने आराध्या के ऑपरेशन थिएटर, वार्ड की जांच की थी. पीड़ितों के बयान लिए थे. डॉक्टर व अस्पताल की लापरवाही सामने आने पर अस्पताल संचालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी. इसके बाद भी जांच कर अंतिम रिपोर्ट तैयार की गई थी. जिसमें अस्पताल संचालक डॉ.नीरज गुप्ता व स्टाफ को दोषी करार किया गया था. विवेचक सीएमओ कार्यालय से यह रिपोर्ट भी ले गए थे, बावजूद इसके आरोपितों को निर्दोष और पीड़ितों को दोषी घोषित कर दिया गया. यह क्यों किया, इसका जवाब पुलिस ही दे सकती है.
कल्चर रिपोर्ट में भी ओटी से संक्रमण मिला
आराध्या अस्पताल में मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद शेर सिंह, रमेश कश्यप, राजाराम, मुन्नी, सुल्ताना देवी और रमादेवी की रोशनी जाने के बाद हैलट के नेत्र विभाग में भर्ती कर उनका इलाज किया गया. तब प्रो. परवेज खान कहते हैं कि इस कल्चर रिपोर्ट में सभी की आंखों में स्यूडोमोनास एरुगिनोसाग्राम बैक्टीरिया पाया गया था. यह बैक्टीरिया ओटी में ही पनपता है. इस बैक्टीरिया के संक्रमण में एंटीबायोटिक दवाएं भी बेअसर हो जाती हैं इसलिए सभी की रोशनी चली गई. तीन की आंखें तक निकाल दी गईं थीं.