बांदा। दीपावली पर्व के बाद अब जिले में दीवारी नृत्य की धूम देखने को मिल रही है। परीवा से शुरू होने वाला जमघट यम द्वितीया तक चलता है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों तक बच्चों, बुजुर्गां और युवाओं की टोलियां हाथ में लाठी-डंडे लेकर दीवारी नृत्य का प्रदर्शन कर रहे हैं और भगवान श्रीकृष्ण को याद कर उनकी आराधना की परंपरा निभा रहे हैं। दीवारी कलाकारों का उत्साहवर्धन करते हुए लोगों ने उन्हें नगद धनराशि के साथ पुरस्कार देते हुए सम्मानित किया।
बुंदेलखंड में लोकनृत्य का दर्जा प्राप्त दीवारी नृत्य भले ही बृज क्षेत्र की प्रमुख विधाओं में शामिल है, लेकिन यहां के लोग भी अपने लोकनृत्य को संरक्षित रखने के लिए खासी कवायद करते नजर आते हैं। दीपावली पर्व के दूसरे दिन से जिले में दीवारी नृत्य का प्रदर्शन आरंभ हो जाता है और यम द्वितीया के बाद तक चलता रहता है।
ऐसे ही गुरुवार को महुआ विकास खंड के पतौरा गांव की दीवासी टीम शहर के इंदिरा नगर स्थित ग्राम प्रधान विनीता त्रिपाठी के घर पर पहुंच गई और दीवारी नृत्य जमकर प्रदर्शन किया। दीवारी कलाकारों ने अजब-गजब करतब दिखाकर आसपास के लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हैरतंगेज प्रदर्शन दिखाकर सभी को दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर कर दिया। वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश त्रिपाठी ने सभी दीवारी कलाकारों को नकद धनराशि देकर पुरस्कृत किया और टीम के अगुवा रहे बुजुर्गोंको अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
करीब तीन घंटे तक दीवारी कलाकारों ने खूब पसीना बहाया और अपने हुनर व कौशल का प्रदर्शन किया। बता दें, कि दीवारी नृत्य भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय खेलों में शुमार था और वह इस खेल को अपने ग्वालबालों के साथ खूब खेलते थे।