कानपुर | 100 किलोमीटर के दायरे में दुश्मन कहीं भी जाकर छिप जाए, वो बच नहीं सकेगा। कानपुर आईआईटी ने एक खास तरह का ड्रोन बनाया है, जो दुश्मन को उसकी माद में जाकर ढूंढ भी लेगा और मार भी डालेगा। एक तरह से ये एक सुसाइड ड्रोन है, जिसके आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने फिलहाल तैयार किया और अगले 6 महीने में कई परीक्षणों से होकर इस ड्रोन को गुजारा जाएगा।
कानपुर आईआईटी के एयरोस्पेस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर सुब्रमण्यम सादरला कहते हैं कि आने वाले 6 महीने में टारगेट को ध्वस्त करने के परीक्षणों के साथ ड्रोन पूरी तरह तैयार किया जा सकता है। स्टील्थ टेक्नोलॉजी के चलते इसको रडार पर भी पकड़ा नहीं जा सकता।
प्रोफेसर सुब्रमण्यम सादरला के अनुसार, कानपुर आईआईटी ने जिस आत्मघाती ड्रोन को बनाया है, उसकी रेंज 100 किलोमीटर है और 6 किलो तक का लोड उठा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की मदद से ये आत्मघाती ड्रोन काम करेगा। दावा है कि उसके जरिए आसानी से दुश्मन के ठिकाने को निशाना बनाया जा सकता है।करीब 2 मीटर लंबे फोल्डेबल फिक्स्ड विंग ड्रोन में कई और खूबियां होंगी। ये कैमरे और इन्फ्रारेड सेंसर से लैस होगा और इसे कैनिस्टर लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकेगा। यही नहीं, ड्रोन दुश्मन के इलाके में जीपीएस ब्लॉक होने के बावजूद आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से टारगेट को ध्वस्त कर देगा। बैटरी से चलने वाला आत्मघाती ड्रोन लॉन्च करने के 40 मिनट में 100 किमी की रेंज में दुश्मन पर टारगेट कर सकेगा।
इसकी एक्यूरेसी काफी अच्छी है। बताया जा रहा है कि हाइब्रिड युद्ध के समय ड्रोन हवा में पहुंचते ऑटोनॉमस होगा, इसके हिसाब से मशीन खुद फैसले लेगी। इसको बेस स्टेशन से भी रिमोट के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है।इसमें लगे कैमरे से बेस स्टेशन को दुश्मन के इलाके की तस्वीर मिल सकेगी। यह ड्रोन किसी भी मौसम और कहीं भी काम करने वाली तकनीक से लैस होगा। रात में भी दुश्मन के ठिकानों को इससे निशाना बनाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।प्रोफेसर सादरला का कहना है कि डीआरडीओ के डीवाईएसएल प्रॉजेक्ट के तहत पिछले एक साल से इस ड्रोन पर काम चल रहा था। पूरी तरह से स्वदेशी डिजाइन वाले इस ड्रोन को तीनों सेनाओं की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है।