अयोध्या। अयोध्या जिला पशु अधिकारी मनोज ने बातचीत के दौरान पशु पालकों को ठंड के मौसम में अपने पशुओं की देखभाल करने और विशेष एहतियात बरतें के लिए कहा, ताकि पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर बदलते मौसम का असर न पड़े। सर्दी के मौसम में यदि पशुओं के रहन-सहन और आहार का ठीक प्रकार से प्रबंध नहीं किया गया, तो ऐसे मौसम का पशु के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ठंढ के मौसम में पशुपालन करते समय मौसम में होने वाले परिवर्तन से पशुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है, परंतु ठंड के मौसम में पशुओं की दूध देने की क्षमता शिखर पर होती है तथा दूध की मांग भी बढ़ जाती है। अतः इस प्रभाव से बचने के लिए पशुपालकों को मुख्यतः निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बदलते मौसम में शाम को पशुओं को छाव में बांधे। मच्छर से बचने के लिए धुंआ आदि करें। इसके अलावा पशुओं पर ओढ़न भी डाल दे। पांच दिन यह बेहद खास है।
ठंड के मौसम में पशुओं को संतुलित आहार दें। जिससे ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, पानी, विटामिन व वसा आदि पोषक तत्व मौजूद हो। इन दिनों में पशुओं को विशेष देखभाल की जरूरत होती है, ऐसे में पशुओं के खान-पान व दूध निकालने का समय एक ही रखना चाहिए। खान पान में सावधानी बरतें, दुधारू पशुओं को बिनौला अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए। शीतलहर के दिनों में पशु की खोर के उपर या नाद में सेंधा नमक का ढेला रखें ताकि पशु जरूरत के अनुसार उसका चाटता रहे। ठण्ड के दिनों में पशुओं के दाना बाटा में 2% खनिज मिश्रण व 1% नमक जरुर मिलाकर दे। सर्दी में पशुओं को हरा चारा जैसे बरसीम पशुओं को दे, परंतु ध्यान यह दे की सिर्फ हरा चारा खिलाने से अफारा व अपच भी आ जाती है, ऐसे में हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाए। 4 किलो बरसीम 1 किलो तक दाना बाटा की बचत करता है । 10 लीटर दुधारू पशु के लिए 20-25 किलो हरा चारा (दलहन) 5-10 किलो सूखा चारा के साथ मिला कर दें।