सहारनपुर में पराली जलाने वाले किसानों की सेटेलाइट रिपोर्ट निकली गलत, मुज़फ्फरनगर में केवल एक जगह जली पराली
सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में पराली जलाने संबंधी सेटेलाइट रिपोर्ट के आधार पर पकड़े गये 13 किसानों के खेत का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद जिला प्रशासन ने स्वीकार किया है कि सेटेलाइट रिपोर्ट से जमीनी हकीकत की पुष्टि नहीं हो सकी है।
स्थलीय परीक्षण के आधार पर प्रशासन का दावा है कि धान की पराली से होने वाले प्रदूषण में इस साल जिले में कमी आई है। प्रशासन ने इस दिशा में किसानों के जागरूक होने को इसकी वजह बताया है।
मंडल के संयुक्त निदेशक (कृषि) वीरेंद्र कुमार ने शनिवार को बताया कि उप्र में धान का कटोरा माने गये सहारनपुर मंडल में इस बार पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी सेटेलाइट के जरिए की जा रही है। कुछ मामलों में यह सामने आया है कि यदि किसी वजह से तापक्रम में अंतर आ जाता है तो सेटेलाइट सही नतीजे नहीं दे पाता है। सहारनपुर में कई मामलों में यह बात सामने आई हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनों सेटेलाइट रिपोर्ट के आधार पर दर्जन भर से अधिक किसानों पर प्रशासन ने जुर्माना लगाने का नोटिस जारी कर दिया था। इसके स्थलीय निरीक्षण में पराली जलाने की पुष्टि नहीं हुयी है। कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष 28 अक्टूबर तक पराली जलाने के 49 मामले सामने आए थे। इस साल पराली जलाने की अब तक कुल 15 घटनाएं ही दर्ज की गई।
उन्होंने बताया कि शामली जिले में पिछले वर्ष इस अवधि में पराली जलाने के 17 मामले दर्ज हुए थे, जबकि इस बार कुल 06 मामले ही सामने आए हैं। मुजफ्फरनगर जिले में अभी तक पराली जलाने की 01 घटना ही सामने आई है। जबकि पिछले वर्ष इस दौरान 03 घटनाएं हुई थी।
कुमार ने बताया कि सहारनपुर जनपद में पिछले वर्ष 29 अक्टूबर तक पराली जलाने की 29 घटनाएं दर्ज की गयी थीं, जबकि इस बार यह संख्या महज 08 रह गयी है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने के आरोपी किसानों पर ढाई-ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। सहारनपुर के कृषि उप निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि पराली जलाने की दो घटनाएं सहारनपुर सदर में, दो बेहट में और एक गंगोह में सामने आई है।
संयुक्त निदेशक वीरेंद्र कुमार और उप निदेशक राकेश कुमार, दोनों ने बताया कि सहारनपुर में सेटेलाइट ने 13 मामलों का संकेत पराली जलने का दिया था, लेकिन स्थलीय निरीक्षण में पराली जलाने की पुष्टि नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि उन स्थानों पर किसानों ने सोलर प्लांट लगाए हुए थे। सोलर प्लांट की गर्मी से तापक्रम के अंतर को पकड़कर सेटेलाइट ने उक्त खेत में पराली जलाने का अलर्ट भेज दिया।
ऐसे में कृषि विभाग सेटेलाइट द्वारा दी जा रही सूचनाओं का स्थलीय निरीक्षण कर सच्चाई जानने के बाद ही किसानों के खिलाफ जुर्माना लगाने की कार्रवाई कर रहा है। सहारनपुर में जो ज्यादा घटनाएं सेटेलाइट के माध्यम से सामने आई थी, उनमें से ज्यादातर घटनाएं जांच में सही नहीं निकली। इस बीच सहारनपुर के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने जनपद के जागरूक किसानों से आज एक बार फिर अपील की है कि वे पर्यावरण को साफ बनाए रखने के लिए पराली को ना जलाएं और प्रतिबंधित संयंत्रों का इस्तेमाल भी ना करें।