कानपुर। शहर से करीब 50 किमी दूर बिल्हौर तहसील जनपद की पश्चिम दिशा में आखिरी तहसील है. यहां पर जिलास्तरीय अधिकारियों की पहुंच भी कम रहती है. इसका सीधा फायदा तहसील के अधिकारी और कर्मचारी उठाते हैं, जिसके चलते समय पर न तो अधिकारी पहुंचते हैं और न ही कर्मचारी. इसका खामियाजा फरियादियों को उठाना पड़ता है और दूर दराज से आये फरियादी अपने काम को लेकर अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर आशा भरी निगाहों से देखने को मजबूर हो जाते हैं.
बिल्हौर तहसील में उप जिलाधिकारी और तहसीलदार से लेकर कई नायब तहसीलदार और तहसील स्तर के कई अधिकारी व कर्मचारी बैठते हैं. यहां पर रोजाना हजारों फरियादी दूर दराज से अपने काम को लेकर आते हैं, लेकिन साहब हैं कि मानते नहीं और रोजाना समय पर नहीं पहुंचते. यहां पर जितने भी कार्यालय है उनमें शायद ही कोई समय पर खुल जाए, अगर चपरासी ने खोल भी दिया तो वहां पर कर्मचारी और अधिकारी अपने निर्धारित समय 11 बजे के बाद ही आएंगे. इससे उन फरियादियों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है जो दूर दराज से यह सोंचकर आते हैं कि समय से काम होने पर समय से घर लौट जाएंगे.
सोमवार (Monday) को जब सुबह 10:30 तहसील के दफ्तरों का जायजा लिया गया तो एक दो को छोड़कर सभी कार्यालयों में ताले लटके हुए थे. एक दो जो खुले भी थे उनमें चपरासी के अलावा कोई नहीं था और बाहर फरियादी अधिकारियों व कर्मचारियों के आने का इंतजार करते देखे गये. फरियादी दिनेश कुमार ने बताया कि यहां के अधिकारी और कर्मचारी निरंकुश हो चुके हैं और शासन के निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं. कहा कि तहसीलदार के यहां मेरी फाइल लगी हुई है और जब भी तारीख में आता हूं तो समय पर कोई नहीं मिलता. राजेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि नगर पालिका अध्यक्ष के लिए भाजपा से दावेदार हूं. यहां पर फर्जी मतदाता रोकने के लिए उप जिलाधिकारी से मिलने आया हूं, लेकिन वह अभी तक आई ही नहीं हैं.
आकिन के बीडीसी सदस्य भोले ने बताया कि यह तहसील जनपद मुख्यालय से काफी दूर है. इससे बड़े अधिकारी यहां पर निरीक्षण करने कम ही आ पाते हैं और इसका फायदा यहां के अधिकारी और कर्मचारी उठाते हैं. क्योंकि उन्हें निरीक्षण का डर नहीं है और जब बड़े अधिकारी आते हैं तो उन्हें पहले से मालूम हो जाता है. उस दिन तो सब कुछ सही रहता है, लेकिन अगले ही दिन से तहसील में पुराने ढर्रे पर काम चलने लगता है. फरियाद आदेश तिवारी ने बताया कि उप जिलाधिकारी के यहां पर काम है और सुबह 10 बजे आ गया था लेकिन 11 बज गये अभी तक उप जिलाधिकारी का कोई अता पता नहीं है. अधिवक्ता महेन्द्र कुमार ने बताया कि यहां पर तीन से चार घंटे ही काम हो पाता है. इससे फरियादियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और अधिवक्ता भी परेशान रहते हैं.