बच्चों को जिज्ञासु बनाने की आवश्यकता: सीमैट निदेशक

Update: 2022-12-20 12:15 GMT
प्रयागराज। बच्चों को जिज्ञासु बनाने की आवश्यकता है। यह कार्य गतिविधि आधारित शिक्षण विधि के माध्यम से सरलता से किया जा सकता है। विद्यालय में पठन-पाठन के दौरान गतिविधि आधारित शिक्षण प्रक्रिया की अधिकता जितनी होगी उतने ही अधिक बच्चे जिज्ञासु होंगे। उक्त विचार निदेशक सीमैट दिनेश सिंह ने राज्य शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) उप्र, प्रयागराज में समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत डायट मेंटर, एआरपी एवं एसआरजी का सहयोगात्मक पर्यवेक्षण पर आधारित चार दिवसीय पुनर्बाधात्मक प्रशिक्षण में सोमवार को तेरहवें चक्र का शुभारम्भ करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपको अपने कौशल के विकास पर अधिक बल देने की आवश्यकता है, साथ ही कुशलता से ही समस्याओं का समाधान भी आपको स्वयं निकालना होगा। समस्याओं का सफलतापूर्वक समाधान निकालना वस्तुतः इस प्रशिक्षण की सफलता है। आप सभी इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूरे मनोयोग से प्रतिभागिता करें।
इसका क्रियान्वयन अपने क्षेत्र भ्रमण के दौरान करने का प्रयास करें। संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ अमित खन्ना ने कहा कि आपको लक्ष्य की संप्राप्ति में अपने आप को सदैव सकारात्मक रखने की जरूरत है। इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपको सहयोगात्मक पर्यवेक्षण में किन-किन बातों पर ध्यान रखने की आवश्यकता है, इन सभी पर चर्चा की जायेगी। कार्यक्रम समन्वयक प्रभात कुमार मिश्र ने कहा कि इस प्रशिक्षण की सफलता इसमें निहित है कि आप कितना अधिक से अधिक प्रशिक्षण की बारीकियों को आत्मसात करके उसे क्रियान्वित करने का प्रयास करते हैं। यह प्रशिक्षण पूरी तरह से गतिविधि आधारित प्रशिक्षण होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 01 नवम्बर से अनवरत जारी है, जिसमें आज तक विभिन्न जनपदों के कुल 3490 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कार्यक्रम में आज प्रदेश के नौ जनपद आगरा, गाजियाबाद, गोण्डा, गोरखपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शाहजहांपुर, शामली एवं वाराणसी के 298 प्रतिभागी प्रतिभाग कर रहे हैं। अन्त में पवन सावंत ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर संस्थान से सरदार अहमद, बी.आर. आबिदी, विप्लव प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।
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