मुरादाबाद। मूलरूप से कुंदरकी का रहने वाला डॉ. नफीस नकली नोटों का बड़ा कारोबारी है। उसके तार विदेश तक से जुड़े हैं। सुरक्षा एजेंसियों को यहां तक संदेह है कि वह नकली नोटों की खेप नेपाल के रास्ते पाकिस्तान से मंगाता है। महज आठ माह पहले मझोला पुलिस को छकाते हुए इनामी अभियुक्त डॉ. नफीस ने कोर्ट में समर्पण कर दिया। दो माह पहले जेल से छूटते ही वह दोबारा नकली नोटों के कारोबार से जुड़ गया। बेखौफ होकर चौथी बार भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ते पकड़े गए डॉ. नफीस की कमर तोड़ने में पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह विफल हैं।
छह अगस्त 2022 को मुरादाबाद के तत्कालीन एसएसपी ने मंडल के विभिन्न जिलों में नकली नोटों का कारोबार करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया। मझोला थाना प्रभारी धनंजय सिंह व जयंतीपुर चौकी इंचार्ज राशिद खां ने तीन लोगों के कब्जे से एक लाख रुपये की जाली करेंसी बरामद की है। पांच-पांच सौ की पचास हजार करेंसी नौशाद खान निवासी चकमेन मार्केट थाना स्वार रामपुर के कब्जे से मिली। जबकि दो सौ के 150 नोट रहीस अहमद निवासी खलील वाली मस्जिद के पास थाना कटघर से बरामद हुए।
तीसरे अभियुक्त मोहम्मद हसीब निवासी ग्राम कमालपुर कुंदरकी के कब्जे से 100-100 के दो सौ जाली नोट मिले। पुलिस ने तब दावा किया कि गिरोह का सरगना नफीस भी कुंदरकी के कमालपुर गांव का रहने वाला है और वह मोहम्मद हसीब का बड़ा भाई है। नफीस को गिरोह का सरगना बताते हुए पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा। इसके बाद भी महीनों तक नफीस पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। पुलिस को चकमा देकर उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। भोजपुर थाना प्रभारी संजय पांचाल के मुताबिक डॉ. नफीस दो माह पहले ही जेल से रिहा हुआ था। रिहाई के बाद से ही उसने नकली नोट बनाने का ठिकाना बदला। भोजपुर के पीपलसाना गांव को नया अड्डा बनाकर वह नकली नोटों के खेल में जुट गया।