निगम की चारों डिस्पेंसरी पर लटके ताले, 1958 में खुली थी पहली डिस्पेंसरी

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Update: 2022-12-20 09:51 GMT
मेरठ। लोगों को संक्रामक रोगों से बचाने में नगर निगम की चार डिस्पेंसरी बड़ी भूमिका निभाती थीं। मरीज बढ़ने पर शहर में ब्लीचिंग पाउडर और फॉगिंग जैसे कार्य किए जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। चारों डिस्पेंसरी बंद हो चुकी हैं। साल 1958 में नगर पालिका ने सूरजकुंड और पुरानी तहसील यानी कोतवाली के बराबर में एलोपैथिक, शारदा रोड पर आयुर्वेदिक और सिविल लाइन क्षेत्र के साकेत में होम्योपैथिक डिस्पेंसरी खोली थीं। जहां दिन निकलते ही मरीजों की कतारें लग जाती थीं। सूरजकुंड डिस्पेंसरी पर शहर ही नहीं आसपास के गांवों के लोग हैजा, टिटनेस और मलेरिया जैसी बीमारियों के इलाज के लिए पहुंचते थे।
आखिरी चिकित्सक इस डिस्पेंसरी में डॉ. वीके शर्मा रहे। इनके रिटायर होने के बाद अस्पताल बंद हो गया। नगर निगम ही नहीं बल्कि पूर्व महापौर हरिकांत अहलुवालिया के कार्यकाल तक डिस्पेंसरी में मरीजों को दवाइयां मिलती रहीं। अब डिस्पेंसरी बंद होने से मरीज भटकते हैं। शारदा रोड पर सरदार पटेल स्कूल के निकट आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में नगर निगम की तरफ से आयुर्वेदाचार्य डॉ. ताराचंद गोयल तैनात रहे। यह डिस्पेंसरी पूरे शहर में मशहूर थी। पुरानी तहसील के निकट अभी भी एलोपैथी डिस्पेंसरी बनी है, लेकिन अब यहां महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है। इस डिस्पेंसरी में डॉ. जीएस गुप्ता और डॉ. एसएस मित्तल आदि चिकित्सकों ने सेवाएं दी थीं।
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