उत्तर प्रदेश की ट्रेनों व प्लेटफार्मों पर यात्रियों के साथ लूट या अन्य वारदात को अंजाम देने वाने अपराधी अब पहचाने छुपाने के बावजूद जीआरपी की नजरों से नहीं बच पाएंगे। जीआरपी ने ऐसे बदमाशों के लिए सख्त कदम उठाया है। जीआरपी ने अपराधियों के फिंगर प्रिंट स्कैन कर उनका आपराधिक डाटा एकत्रित करना शुरू कर दिया है। फिलहाल जीआरपी ने तीन थानों में यह सिस्टम लागू कर दिया है, जल्द ही बड़ौत जीआरपी थाने पर भी सिस्टम को लागू होगा।
अक्सर अपराधी किसी घटना को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। जिस जगह अपराध किया, वहां से दूर जाकर अपनी पहचान छिपाकर आम नागरिकों की तरह जीवन जीने लगते है, लेकिन अब ऐसे लोग अधिक समय तक नहीं बच पाएंगे। जीआरपी ने ऐसे अपराधियों को पकड़ने के लिए सख्त कदम उठाया है। जीआरपी ने फिंगर प्रिंट स्कैन सिस्टम के साफ्टवेयर से अपराधियों की पहचान कर उन्हें सलाखाें के पीछे पहुंचाएगी।
रेलवे एसपी अपर्णा गुप्ता ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस सिस्टम को फिलहाल सहारनपुर, गाजियाबाद व मुरादाबाद थाने में लागू किया जा चुका है। इस सिस्टम के जरिये शहर छोड़कर देश में कहीं भी अपराध करने के बाद अपराधी अपनी पहचान नहीं छिपा पाएंगे। बताया कि जल्द ही बड़ौत जीआरपी थाने में भी इस सिस्टम को लागू किया जाएगा।..
घटना को अंजाम देकर, छिपा लेते हैं पहचान बन जाते हैं शरीफ
जीआरपी सीओ डॉ. धर्मेंद्र कुमार यादव ने बताया कि कई ऐसे अपराधी हैं जो अपने शहर में तो शरीफ होते हैं लेकिन अन्य शहरों में अपराध करते हैं। कई बार तो अपना नाम और पहचान भी गलत बताकर जेल चले जाते हैं जब छूटते हैं तो फिर उनके बारे में कोई जानकारी नहीं हो पाती है। यही नहीं कुछ अपनी पहचान छिपाकर विदेश तक भाग जाते हैं।
ऐसे करेगा सिस्टम काम
जीआरपी सीओ डॉ. धर्मेन्द्र यादव के अनुसार इस नए सॉफ्टवेयर में किसी अपराधी के फिंगर प्रिंट स्कैन होने के बाद अपराधी अपनी असली पहचान नहीं छिपा पाएगा। यह सॉफ्टवेयर उसकी पूरी कुंडली खोलकर रख देगा। नए सॉफ्टवेयर में पकड़े गए अपराधी और सजा पाने वाले अपराधियों के फिंगर प्रिंट स्कैन कर उनका आपराधिक डाटा फीड किया जा रहा है। इसमें दो स्कैनर है। पहला माफोटॉप लाइव प्रिंटर और दूसरा फ्लैट बैट प्रिंटर है। जो बदमाशों के फिंगर प्रिंट को स्कैन करेेगा।
दिल्ल्ली एनसीआरबी या लखनऊ फिंगरप्रिंट ब्यूरो पर पहले भेजनी होगी रिक्वेस्ट
जीआरपी इंस्पेक्टर विजयकांत सत्यार्थी ने बताया कि यह एक इलेक्ट्रॉनिक डोजर है। इसका उपयोग करने के लिए फिंगरप्रिंट स्कैन कर दिल्ली एनसीआरबी या लखनऊ फिंगरप्रिंट ब्यूरो को रिक्वेस्ट भेजनी पड़ती है। वहां से रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होते ही हम अपराधी का पूरा आपराधिक रिकॉर्ड देख सकते हैं।