उत्तरप्रदेश | एनएच 19 पर एलपीजी का टैंकर पलटा था. सुबह 11 बजे हादसा हुआ. रात नौ बजे टैंकर हाइवे से हट सका. इस कारण भीषण जाम लगा. यह एक दिन की बात नहीं है. पिछले एक महीने में गाड़ी पलटने और खराब होने पर आधा दर्जन से अधिक बार भीषण जाम लगा है. हकीकत तो यह है कि अभी तक कोई एसओपी (स्टैंडर्ड ओपरेटिंग प्रोसीजर) ही नहीं है. गाड़ी पलटने और खराब होने पर किसे क्या करना है किसी को नहीं पता है.
हाइवे पर रुनकता से झरना नाला तक शहरी क्षेत्र में छह थाना क्षेत्रों की सीमा पड़ती है. कोई भी हादसा होने पर थाना पुलिस देर से सक्रिय हो तो भीषण जाम लग जाता है. स्मार्ट सिटी में यातायात पुलिस के पास चार क्रेन हैं. उनकी अपनी क्षमता है. बड़ी गाड़ी के पलटने पर ट्रैफिक पुलिस की क्रेन फेल हो जाती है. एनएच पर चलने के लिए गाड़ियों से टोल लिया जाता है. सेवा शर्तों में यह शामिल है कि हादसे और आपतकालीन स्थिति में नेशनल हाइवे की तरफ से मदद मिलेगी. यह नियम भी सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है. नेशनल हाइवे की पेट्रोलिंग टीम हादसे की सूचना पर आती जरूरत है, लेकिन उसके पास भी संसाधन नहीं हैं. जो क्रेन है वह सिर्फ कार को उठा या हटा सकती है. बड़ा ट्रक, ट्रॉला पलटने पर वे भी फेल हो जाती हैं.
जिसकी गाड़ी उससे मंगवाते हैं क्रेन हाइवे पर जिसकी गाड़ी पलटती या खराब होती है उसी के चालक और मालिक की जिम्मेदारी होती है कि प्राइवेट क्रेन लेकर आएगा. चालक मौके से भाग जाए तो गाड़ी नंबर के आधार पर पहले मालिक से संपर्क किया जाता है. प्राइवेट क्रेन भाड़े पर आती है. पुलिस के पास क्रेन को भुगतान का कोई बजट नहीं है. थाना प्रभारी अपने स्तर से इतना जरूर करते हैं कि क्रेन बहुत कम भाड़े पर उपलब्ध करवा देते हैं.