अस्पताल संचालक डॉक्टर को 10 साल का कारावास

Update: 2022-07-14 09:16 GMT

एत्माद्दौला क्षेत्र के मां श्रृंगार हॉस्पिटल में वर्ष 2011 में चिकित्सकों ने महिला का गर्भपात किया था। लापरवाही से महिला की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में कोर्ट ने दोषी अस्पताल संचालक को 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

आगरा में गैर इरादतन हत्या, गर्भपात एवं एमटीपी एक्ट के तहत दोषी मां श्रृंगार अस्पताल के संचालक डॉ. केपी सिंह को अदालत ने 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अपर जिला जज रनवीर सिंह ने आरोपी को सजा के साथ ही 41,000 रुपये के अर्थदंड से भो दंडित किया है। इस मामले में एक अन्य आरोपी डॉ. राजेंद्र सिंह निवासी एत्मादपुर को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

घटना 24 मार्च 2011 की है। एत्मादपुर निवासी वादी मुकदमा भूरी सिंह ने अपनी तीन माह की गर्भवती पत्नी मनीषा को पेट में दर्द होने पर को ट्रांस यमुना कॉलोनी स्थित मां शृंगार अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल संचालक केपी (कुमरपाल) सिंह ने पत्नी का गर्भपात कराने की सलाह दी, जिसमें 2500 रुपये का खर्च बताया। रुपये जमा कराने के बाद उसकी रसीद नहीं दी। वादी की पत्नी का गर्भपात कर दिया। आरोपी ने इलाज में घोर लापरवाही बरती, जिससे वादी की पत्नी के गर्भाशय समेत अन्य अंदरूनी अंगों को काफी नुकसान पहुंचा।

पीड़ित ने लगाया था यह आरोप

भूरी सिंह का आरोप है कि अस्पताल संचालक ने तथ्यों को छिपा उससे कागजात पर हस्ताक्षर करा लिया, जिसके बाद उसे व पत्नी को अस्पताल से बाहर निकाल दिया। पत्नी की हालत बिगड़ने पर अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि उसका गर्भाशय नष्ट कर दिया था। पति ने मनीषा को गंभीर हालत में एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। यहां इलाज के दौरान पत्नी की मौत हो गई।

अप्रैल 2011 में दर्ज हुआ था मुकदमा

भूरी सिंह ने 29 मार्च को डीएम को तहरीर दी थी। पीड़ित की तहरीर पर एत्माद्दौला थाने में 20 अप्रैल 2011 को धारा धारा 313, 308 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। विवेचना के दौरान मनीषा की मौत होने पर पुलिस ने धारा 308 को 304 में तरमीम कर दिया। मुकदमे के विचारण के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रूपेश गोस्वामी ने वादी सहित छह गवाह अदालत में पेश किए। साक्ष्यों के आधार पर अपर जिला जज रनवीर सिंह ने अस्पताल संचालक डॉ. केपी सिंह निवासी गांव मनापुर थाना डिबाई जिला बुलंदशहर को दस वर्ष सश्रम कारावास और 41,000 जुर्माने की सजा सुनाई।

अदालत ने डीएम को दिए-निर्देश

अदालत ने फैसले की एक प्रति डीएम को भी प्रेषित करने की कहा, जिससे कि वह प्राइवेट नर्सिंग होम एवं हॉस्पीटल के लाइसेंस के पंजीकरण को निर्धारित सभी नियम व शर्तों का कड़ाई से अनुपालन कराएं। प्रशिक्षित एवं अनुभवी टीम से निगरानी कराया जाना सुनिश्चित करें।

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