HC ने सख्ती से UP सरकार से पूछा- महिलाओं के मामले में केस दर्ज करने में देरी क्यों हो रही है?
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प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से सख्त नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सख्ती से यूपी सरकार से पूछा है कि आखिर महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों में मुकदमा दर्ज करने में पुलिस क्यों देर लगाती है। यहां तक कि कोर्ट ने राज्य सरकार से इसका कारण बताने को कहा है। बताया जा रहा है कि 3 नाबालिग नातिनों की नानी ने एक जनहित याचिका दाखिल की है, जिस पर चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि कई बार मुकदमा दर्ज करने में 6 माह से अधिक समय लग रहा है। कोर्ट ने पूछा कि आखिर ऐसी स्थिति किस वजह से बन रही है।
दरअसल, 14 मार्च 2022 को नानी ने बेटी के साथ रह रहे मुकेश पर नाबालिग नातिनों के साथ रेप का आरोप लगाया था। नानी ने गाजियाबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर नहीं दर्ज की। इसके बाद 6 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व चीफ जस्टिस के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर दर्ज हुई। पुलिस ने गाजियाबाद के टीला मोड़ में आरोपी मुकेश व राजकुमारी के खिलाफ आईपीसी 376 506 में केस दर्ज कर लिया मगर पीड़िताओं के नाबालिग होने के बावजूद आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट नहीं लगाया गया। इसके बाद नानी ने कोर्ट में जाकर जनहित याचिका में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।