दिया नया जीवन, ब्रेनडेड मनोज ने इंजीनियर समेत तीन लोगों को
दिया नया जीवन, ब्रेनडेड मनोज ने इंजीनियर समेत तीन लोगों को
गोरखपुर के 50 वर्षीय ब्रेन डेड मनोज ने 39 साल के इंजीनियर समेत तीन लोगों को नया जीवन दिया है। 42 दिन के भीतर अपोलो मेडिक्स हॉस्पिटल से दूसरी बार पुलिस की मदद से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर गुर्दा पीजीआई और लिवर केजीएमयू भेजा गया। पीजीआई पहुंचने में करीब 10 मिनट और केजीएमयू पहुंचने में करीब 14 मिनट लगे। पीजीआई और अपोलो मेडिक्स हॉस्पिटल में एक-एक मरीज को गुर्दा प्रत्यारोपित किया गया। जबकि लिवर केजीएमयू में लिवर सिरोसिस से पीड़ित प्रतापगढ़ के इंजीनियर को प्रत्यारोपित किया गया।
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि 17 जून को सड़क हादसे में गोरखपुर निवासी मनोज (50) के सिर में गंभीर चोटिल लगने पर परिजनों ने स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया था। हालत गंभीर होने पर परिजन लखनऊ के अपोलो मेडिक्स हॉस्पिटल लेकर आए। यहां 20 जून की शाम को डॉक्टरों ने मनोज को मृत घोषित कर दिया। परिजनों द्वारा अंगदान की सहमति की जानकारी मिलते ही रात में गुर्दा प्रत्यारोपण प्रतीक्षा सूची के आठ मरीजों को बुलाकर क्रॉस मैंच जांच की गई। जिसमें 53 वर्षीय मुनेश्वर दयाल की जांचें मेल खायी। यूरोलॉजिस्ट डॉ. यूपी सिंह और डॉ. संचित की टीम ने मरीज को गुर्दा प्रत्यारोपित किया। डॉ. नारायण ने बताया मुनेश्वर को आनुवांशिक गुर्दे की बीमारी थी। 2018 से डायलिसि चल रही थी।
केजीएमयू में इंजीनियर को किया सफल लिवर प्रत्यारोपण
गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के डॉ. अभिजीत चंद्र, डॉ. विवेक गुप्ता और डॉ. संदीप कुमार वर्मा की टीम ने प्रतापगढ़ के 39 वर्षीय इंजीनियर को सफल लिवर प्रत्यारोपित किया। मरीज एक साल से लीवर सिरोसिस से पीड़ित था। केजीएमयू के कुलपति डॉ. बिपिन पुरी के निर्देशन में एनेस्थीसिया के डॉ. राजेश रमन और डॉ. जीपी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉ. अविनाश अग्रवाल, गैस्ट्रोमेडिसिन विभाग के डॉ. सुमित रूंगटा समेत 50 से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्यकमी मौजूद रहे।