जानलेवा हमला मामले में पूर्व मंत्री भगवत सरन बरी, कोर्ट ने वादी के खिलाफ FIR दर्ज
उत्तर प्रदेश | बरेली की एक विशेष अदालत ने विधानसभा चुनाव के दौरान प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के समर्थकों पर जानलेवा हमला करने के करीब सात साल पुराने मामले में पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार और उनके भाई-भतीजे समेत 11 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने वादी के अपने बयान से पलट जाने पर उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश दिया।
शासकीय अधिवक्ता अचिंत्य द्विवेदी ने मंगलवार को बताया कि 2017 के विधानसभा चुनाव के समय नवाबगंज क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार केसर सिंह के समर्थकों पर जानलेवा हमला करने के मामले में सांसद-विधायक अदालत के विशेष न्यायाधीश देवाशीष पांडेय ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार, उनके भाई योगेंद्र गंगवार, भतीजे तरुण गंगवार, ब्लॉक प्रमुख विनोद दिवाकर एवं पुरुषोत्तम गंगवार, शेर सिंह गंगवार, ओमेंद्र गंगवार, सुधीर मिश्रा, वीरपाल गंगवार, अनिल गंगवार और गोपाल गुप्ता समेत 11 लोगों को दोषमुक्त कर दिया। वादी और गवाह दोनों के अपने बयान से मुकर जाने की वजह से अदालत ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने बयान से मुकरने वाले वादी तेजराम के खिलाफ में प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिये हैं।
घटना के संदर्भ में द्विवेदी ने बताया कि बरेली जिले की नवाबगंज विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से केसर सिंह और समाजवादी पार्टी (सपा) से भगवत सरन गंगवार उम्मीदवार थे। अखिलेश यादव सरकार (2012-2017) में मंत्री रहे भगवत सरन गंगवार और उनके समर्थकों पर केसर सिंह के समर्थक तेजराम की ओर से 14 फरवरी 2017 को नवाबगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। तेजराम ने प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि वह अपने मित्र महेंद्र गंगवार एडवोकेट के साथ कार से नवाबगंज से अभयराजपुर गांव जा रहे थे और जब कार जयनगर गांव के लीलाधर के घर के पास पहुंची, तो जरेली गांव की ओर से 50-60 गाड़ियों के काफिले के साथ सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार आ गये और उन्होंने डंडे, हॉकी, रॉड आदि से उनपर जानलेवा हमला कर दिया।
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस विवेचक ने पूर्व मंत्री और सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार, उनके भाई योगेंद्र गंगवार, भतीजे तरुण गंगवार, दो ब्लॉक प्रमुखों विनोद दिवाकर एवं पुरुषोत्तम गंगवार समेत 11 लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इस बीच सुनवाई के दौरान आरोपियों की गिरफ्तारी एवं कुर्की का वारंट जारी होने पर पूर्व मंत्री समेत समर्थक अदालत में समर्पण कर जेल गये और जमानत मिलने के बाद वे सभी बाहर आ गये थे। अगली सुनवाई के दौरान वादी तेजराम और दूसरे चश्मदीद गवाह अपने बयान से मुकर गये। इसके बाद अदालत ने आरोपियों को दोष मुक्त करार देते हुए बरी कर दिया।