कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के घाटमपुर तहसील के यमुना किनारे के 7 गांव बाढ़ से पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। यहां विद्यालय, शौचालय और घर डूबे हुए हैं और लोग जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं। वहीं, ऐसे हालात होने के बाद घाटमपुर के गांव के लगभग 50% लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया है। दरअसल, घाटमपुर तहसील के अमीरतेपुर, मोहटा, गड़ाथा और कई गांव टापू बन गए हैं। गांव में लोगों के घरों में पानी घुस गया है। ऐसी स्थिति देखकर ग्रामीण अपने घरों की छतों पर रहने को मजबूर हो गए हैं। प्रशासन की चेतावनी के बाद ग्रामीणों ने अपने-अपने घर और गांव को छोड़ दिया और अपना खाने पीने का जरूरत का सामान लेकर कैंपों में चले गए।
कुछ ग्रामीण शहर की तरफ रवाना हो गए। बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को स्थानीय प्रशासन के कैंपों में उचित व्यवस्था नहीं मिल पा रही है। वहां पर ग्रामीणों को वितरण के लिए आने वाली दवा और खाद्य सामग्री कम पड़ रही है। जिसकी वजह से कई ग्रामीण पुलिस प्रशासन की चौकी में रुकने के बजाय शहर की तरफ चले गए। वहीं, दूसरी ओर विशाल बाढ़ की चपेट में आ जाने के बाद कानपुर से हमीरपुर को जोड़ने वाला पुल भी जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। जिससे भारी वाहनों का निकलना पूरी तरह से बंद हो गया है। जिला प्रशासन का कहना है कि बाढ़ चौकियों में उचित इंतजाम किए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इन इंतजाम को पर्याप्त नहीं पा रहे हैं। क्षेत्र की विधायक सरोज कुरील ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था और वहां पर रह रहे ग्रामीणों के लिए व्यवस्थाओं का जायजा लिया था।
ग्रामीणों की शिकायत है कि एसडीएम साहब क्षेत्र का नाव में बैठकर दौरा कर जाते हैं, लेकिन यहां पर ग्रामीणों के लिए व्यवस्थाएं ठीक नहीं है। वहीं, आज के जलस्तर में कल से लगभग 3 फुट की कमी आई है, लेकिन प्रशासन के इंतजाम खोखले साबित हो रहे हैं। एडीएम वित्त कानपुर नगर राजेश कुमार की मुताबिक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में जिला प्रशासन ने चौकिया वाह दवाइयों के साथ खाद्य रसद का भी प्रबंध कर दिया है। घाटमपुर विधानसभा की विधायिका सरोज कुरील ने भी अपने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया और ग्रामीणों को आ रही दिक्कतें दूर करने की जिला प्रशासन से बात की है।