मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करने वाला एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान है। ऐसे बची नवजात बच्ची की जान।
बिजनौर के स्योहारा में मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करती हृदय विदारक घटना सामने आई। एक नवजात बच्ची को जन्म के बाद मां की गोद तक नसीब नहीं हो सकी। खेत में शरीर पर लिपटे चीटिंयों के झुंड से नवजात जिंदगी और मौत के बीच घंटों कराहती रही। फरिश्ता बनकर पहुंचे कुछ ग्रामीणों ने बच्ची को नया जीवन दिया। चीटिंयों से बुरी तरह घिरी बच्ची को गंभीर हालत में सीएचसी में भर्ती कराया गया। उपचार के बाद बच्ची की हालत में सुधार है। उसकी आंख खुलने के साथ ही चेहरे पर मुस्कान को खिला देख सभी ने राहत की सांस ली।
क्षेत्र के गांव मुजाहिदपुर खिड़का के जंगलों मे भगवानपुर रैनी निवासी शशीराज विश्नोई के ईंख के खेत में काम कर रहे मजदूरों को एक नवजात कन्या पड़ी मिली। नवजात कन्या कपड़े में लिपटी हुई थी, जिसको चीटिंयां काट रही थीं। इसकी जानकारी मजदूरों ने खेत स्वामी को दी और नन्हीं सी कन्या के शरीर से चीटिंयों को हटाते हुए उसकी आंखें साफ की। थोड़ी देर बाद नवजात कन्या होश में आई और अपनी नन्ही-नन्ही आंख खोली और रोना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों ने घटना की जानकारी डायल 108 को भी दी। वहीं पुलिस भी मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से बच्ची को सरकारी अस्पताल मे भर्ती कराया। जहां उसका उपचार किया जा रहा है। थानाध्यक्ष राजीव चौधरी का कहना है कि नवजात कन्या मिली है, जिसे सरकारी अस्पताल में उपचार हेतू भर्ती कराया गया है। जहां चिकित्सकों का कहना है कि कन्या ठीक है। वहीं सीएचसी प्रभारी डॉ. विशाल दिवाकर का कहना है कि नवजात शिशु को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है।