तहसीलों की 'गैर जिम्मेदार' व्यवस्था से परेशान फरियादी, विभागीय कर्मचारियों पर लगते है हर दिन आरोप

एसडीएम को शिकायती पत्र दे रहे हैं,लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

Update: 2022-05-10 03:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों लखनऊ में थाना व तहसील स्तर पर न्याय न मिलने पर नाराजगी व्यक्त की थी।अलीगढ़ जिले का भी कुछ ऐसा ही हाल है। यहां पर तहसीलों की 'गैर जिम्मेदार' व्यवस्था से फरियादी परेशान हैं। डीएम सेल्वा कुमारी जे से मिलने कलक्कट्रेट पहुंचे इगलास के भैरा गौरवां निवासी तेजवीर सिंह ने बताया कि वह पिछले दो महीने से अपनी आबादी भूमि को कृषि में दर्ज कराने के लिए एसडीएम को शिकायती पत्र दे रहे हैं,

लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।तहसील स्तरीय अफसर हर दिन टालमटोली कर वापस लौटा देते हैं।इन दोनों के अलावा अन्य भी कई फरियादी थे, जो थाना व तहसील पर सुनवाई न होने से परेशान थे। इनमें सबसे अधिक शिकायतें भूमि विवाद, सरकारी जमीनों पर कब्जे से जुड़ी हुई थीं। दो दर्जन से अधिक शिकायतें शासन से जिला व तहसील स्तरीय कार्यालयों में सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक जनसुनवाई के निर्देश हैं। डीएम सेल्वा कुमारी जे ने निर्धारित समय पर कलकट्रेट पहुंचकर जनसुनवाई शुरू की। 10 बजे से पहले ही कलक्ट्रेट में फरियादियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। जैसे ही डीएम अपने कक्ष में पहुंची, वैसे ही जनसुनवाई शुरू कर दी। स्थानीय कर्मचारियों ने एक-एक करके फरियादियों को अंदर भेजा। कोई सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत लेकर पहुंचा तो कोई जमीनी विवाद की। सबसे अधिक शिकायतें तहसील, ब्लाक व थानों से जुड़ी हुई थीं।
चर्चा हैं कि बिना सुविधा शुल्क लिए अधिकांश कार्मिक आगे फाइल ही नहीं बढ़ाते हैं। मूल निवास से लेकर आय प्रमाण पत्र तक में वसूली की जाती है। जिम्मेदार कर्मचारियों ने निजी लोगों को यह काम सौंप रखा है। सोमवार को कलक्ट्रेट पहुंची कोल तहसील के कुंआ गांव निवासी भूरी देवी ने बताया कि वह पिछले काफी समय से अपनी 0.253 हेक्टेयर भूमि काे संक्रमणीय कराने के लिए तहसील के चक्कर काट रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हाे रही है। आरोप लगाया कि सुविधा शुल्क की मांग की जाती है।
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