नोएडा की साइबर क्राइम पुलिस ने दवा के नाम पर फ्रॉड करने वाली गैंग के दो जालसाजों को गाजियाबाद से दबोचने में सफलता हासिल की है। जालसाजों ने कोविड महामारी के दौरान हॉस्पिटल में बेड और रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध करवाने के नाम पर लोगों के साथ धोखाधड़ी की थी। हालांकि गैंग का लीडर अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर है। साइबर पुलिस के मुताबिक पकड़े गए दो आरोपियों में से एक फिल्म एक्टर भी शामिल है।
साइबर पुलिस अब गैंग के सरगना की तलाश में जुटी है। वहीं आरोपियों से पूछताछ कर धोखाधड़ी की वारदातों का पता लगा रही है। साइबर थाना इंचार्ज रीता यादव के मुताबिक आरंभिक पूछताछ में आरोपियों ने कोरोना संक्रमण काल के दौरान दर्जनों लोगों से रेमडेसिविर इंजेक्शन उलब्ध करवाने के नाम पर धोखाधड़ी की थी।
ऐसे आए पकड़ में
साइबर थाना इंचार्ज रीता यादव के मुताबिक, आरोपियों की शिनाख्त मयंक खन्ना निवासी सिहानी गेट गाजियाबाद व यश मेहता राजगनर गाजियाबाद के तौर पर हुई है। आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस टीमें लगातार दबिश दे रही थी। इनपुट मिलने के बाद दोनों को गाजियाबाद से दबोचा गया है। इंचार्ज के मुताबिक गिरोह के सरगना सहित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर साइबर पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही है। जालसाज कोरोना काल के दौरान जरूरतमंद लोगों से रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलाने के नाम पर 30 हजार से सवा लाख रुपए तक वसूलते थे। कोविड काल में दोनों ने मिलकर जालसाजी को अंजाम देना शुरू कर दिया था। आरोपी फेक बेवसाइट व इंटरनेट के जरिए कोरोना महामारी के दौरान हॉस्पिटल में बेड व रेमडिसिविर इंजेक्शन दिलाने के नाम पर जरूरतमंद लोगों से संपर्क कर बैंक अकाउंट में रुपए ट्रांसफर करवाकर धोखाधड़ी करते थे।
ये था मामला
साइबर थाना इंचार्ज रीता यादव के मुताबिक, एक युवती की मां भी कोरोना संक्रमण काल के दौरान कोरोना पॉजिटिव हो गई थी। इस बीच युवती ने मां के इंजेक्शन के लिए आरोपियों से संपर्क किया। दोनों ने 10 जून 2021 को पीड़िता से रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने के बदले 1 लाख 15 हजार रुपये लिए थे। रुपए ट्रांसफर होने के बाद दोनों ने अपना मोबाइल बंद कर लिया था। इसके बाद पीड़िता ने दोनों के खिलाफ साइबर थाने में मामला दर्ज करवाया था।
न्यूज़ क्रेडिट: timesnowhindi