नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के सहयोग और सूचना पर दिल्ली कैंट के एसडीएम के नेतृत्व में नारायणा पुलिस की छापे की साझा कार्रवाई में ढाबों और व्यावसायिक इकाइयों में काम कर रहे 14 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया। बाल मजदूरों से काम कराने वाले इन प्रतिष्ठानों के खिलाफ नारायणा थाने में मामला दर्ज किया गया है।
इस कार्रवाई में बचपन बचाओ आंदोलन का सहयोगी संगठन बाल विकास धारा और श्रम विभाग के अफसर भी शामिल थे। इन बच्चों को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया जहां से उन्हें ‘मुक्ति आश्रम’ भेज दिया गया। इन सभी बाल मजदूरों की उम्र 12 से 17 वर्ष के बीच है और ये बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले हैं। छापों के बाद एसडीएम ने नौ ढाबे एवं फैक्ट्रियां सील कर दी। इन सभी के खिलाफ किशोर न्याय कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मुक्त कराए गए इन बाल मजदूरों की हालत बेहद दयनीय थी। इन 14 बाल मजदूरों में से चार की आंखें खराब थी और एक बाल मजदूर की एक आंख नहीं थी। कई बाल मजदूरों के हाथ एवं शरीर के अन्य हिस्सों पर जले के निशान थे। मामूली तनख्वाह पर इनसे दिन रात काम लिया जाता था। साथ ही, एक बाल मजदूर जिसकी एक आंख नहीं थी, उसे छह महीने से काम सिखाने के नाम पर मुफ्त में खटाया जा रहा था।
एसडीएम कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि नांगल राया डिस्पेंसरी में इन सभी बच्चों की प्राथमिक चिकित्सा जांच के बाद बाल संरक्षण समिति के समक्ष पेश किया गया जहां से उन्हें ‘मुक्ति आश्रम’ भेज दिया गया। श्रम विभाग ने इन बाल मजदूरों के बयान दर्ज कर लिए हैं। फिलहाल पुलिस एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई कर रही है।
तमाम प्रयासों के बावजूद समाज में बाल तस्करी और बाल मजदूरी पर रोक नहीं लग पाने पर बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीश शर्मा ने कहा, “बच्चों को बाल मजदूरी और शोषण से निजात दिलाने के लिए बनाए गए बेहद सख्त कानूनों के बावजूद नाबालिगों से काम लेने की प्रवृत्ति और उनका शोषण जारी है जो चिंता की बात है।”
For more information, please contact:
Jitendra Parmar 8595950825