लखनऊ। नागपुर में चल रहे भारतीय विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन में आयुर्वेद को भी शामिल किया गया। जिसमें राष्ट्र संत तुकोबा नागपुर विश्वविद्यालय में 3 जनवरी से चल रही 108 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में ऐतिहासिक रूप से इस बार आयुर्वेद को भी शामिल किया गया। सम्मेलन के तीसरे दिन लखनऊ विश्विद्यालय के सांख्यिकी के पूर्व प्रमुख एवं एमेरिटस प्रो. गिरधर अग्रवाल की अध्यक्षता में हुये 15 वें प्लेनरी सेशन में राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, लखनऊ में काय चिकित्सा विभाग के प्रमुख एवं गठिया केन्द्र के संस्थापक प्रभारी प्रो. संजीव रस्तोगी ने आयुर्वेद के वैज्ञानिक पक्षों पर अपना व्याख्यान दिया। प्रो. रस्तोगी ने संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित अनेक उपयोग से न केवल वर्तमान वैज्ञानिक समझ को बढाया जा सकता है।
बल्कि उस पर आधारित सुलभ , सस्ते एवं आसान निदान, रोकथाम एवं उपचार के तरीकों को प्रयोग में लाया जा सकता है। प्रो.रस्तोगी ने कहा कि मधुमेह की भारत वर्ष में व्यापकता को देखते हुये इसके निदान के लिये अधिक सुलभ , सस्ते और विश्वसनीय नैदानिक उपायों की आवश्यकता है। प्रो. रस्तोगी ने बताया कि भारत में लगभग 8 करोड़ लोग मधुमेह से पीडित हैं और उनमें से आधों को अपने रोग के विषय मे जानकारी भी नहीं है। मधुमेह के रोगियों से 4 गुनी संख्या उन लोगों की है जो मधुमेह होने की कगार पर खड़े हैं। मधुमेह के रोगियों मे मूत्र का गंदलापन और उनके मूत्र में चींटियों का लगना मधुमेह की प्रारम्भिक पहचान के लिये एक सुलभ उपाय के रूप में सामने आ सकता है। सम्मेलन में प्रो. रस्तोगी को उनके आयुर्वेद को विज्ञान से जोड़ने के विषय में किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिये सम्मानित किया गया।