बढ़ रही शराब की लत, महिलाएं भी इसकी गिरफ्त में, डॉक्टर बोले, एक झटके में शराब छोड़ना ही इस लत का इलाज
उत्तरप्रदेश | शराब की लत से पीड़ित लोगों को इससे छुटकारा पाने के लिए प्रेरित करने के मकसद से वर्ल्ड टेंपरेंस डे मनाया जाता है. हालात यह हैं कि पुरुषों के साथ महिलाएं भी शराब की लत के आगोश में हैं.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट से यह सामने आया है. चिकित्सकों का कहना है कि शराब की लत से तमाम लोगों की सेहत खतरे में आ गई है. अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में शराब छुड़ाने की मुहिम बड़े आंदोलन के रूप में चलाई गई.
पी रहे हैं तमाम, जानें किनका आ रहा लत में नाम अल्कोहल यानि शराब का सेवन करने वाले सभी लोगों को इसकी लत से पीड़ित नहीं कहा जा सकता. हालांकि, ज्यादातर लोग इस श्रेणी में आ रहे हैं. मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण पाल ने बताया कि शराब पीने की वजह से सामाजिक, आर्थिक, व्यावसायिक, पारिवारिक, स्वास्थ्य आदि से जुड़ी परेशानियां सामने आने पर शराब पीना सीधे तौर से लत के दायरे में आ जाता है. क्रेविंग यानि तलब और सीकिंग यानि इसकी मांग करते हुए बेहाल हो जाना लत का लक्षण है.
बीमारियों की जड़ है शराब
चिकित्सकों का कहना है कि शराब के बढ़ते सेवन से लिवर और हार्ट के साथ कैंसर की बीमारी अब भयावह शक्ल में सामने आ रही है. हेपेटाइटिस के संक्रमण से पीड़ित मरीजों में शराब पीने से लिवर कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. गायनोकॉलॉजिस्ट डॉ. रचना चौधरी ने बताया कि शराब का सेवन महिलाओं में भी बढ़ने के चलते ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं.
लत से पीड़ित लोगों को लगातार तीन दिन शराब नहीं पीने और फिर चौथे दिन आकर हाल बताने को कहा जा रहा है. मरीज अपनी जैसी हालत बता रहे हैं उसी के अनुरूप विदड्रॉल के लक्षणों को कम करने की दवाएं उन्हें दी जा रही हैं.
डॉ. रवि राणा, साइकोलॉजिस्ट
शराब की लत से पीड़ित लोगों का इलाज शुरू करते समय उन्हें एक झटके से इसे छोड़ने को कहा जा रहा है. शराब छोड़ने के चलते होने वाले विदड्रॉल सिंड्रोम का इलाज दवा से होगा. पंद्रह दिन के बाद विदड्रॉल के लक्षण आने बंद हो जाएंगे.
डॉ. तरुण पाल, विभाध्यक्ष, मनोरोग विभाग मेडिकल कालेज