आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में फर्जी व कूट रचित प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी पाने वाले दस शिक्षक स्पेशल टास्क फोर्स की जांच में दोषी पाए गए हैं. इन सभी शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की जा रही हैं. आजमगढ़ के बेसिक शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर आठ शिक्षकों के खिलाफ उनके नजदीक के थानों में मुकदमा दर्ज कराया गया है. शिक्षकों के फर्जीवाड़ा करने का प्रकरण करीब एक वर्ष पूर्व सुर्खियों में छाया था. उस समय विभागीय जांच हुई, तो कई स्तर पर झोल नजर आया. एसटीएफ की जांच में शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया था.
इन विद्यालयों के शिक्षक हुए बर्खास्त
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जमीन दसांव में सहायक अध्यापक नंद लाल, प्राथमिक विद्यालय सीही की सहायक अध्यापक नेहा शुक्ला, प्राथामिक विद्यालय छीरीब्राह्मण के सहायक अध्यापक राजा राम, कंपोजिट विद्यालय फदगुदिया पवई के अजीत कुमार यादव, गोविंद पांडेय, प्राथमिक विद्यालय गोमाडीह ठेकमा के सहायक अध्यापक धीरज सिंह कश्यप, प्राथमिक विद्यालय राजापट्टी अहरौला के सहायक अध्यापक राजेश कुमार चौबे व प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर साउथ के सहायक अध्यापक आशुतोष सिंह को बर्खास्त किया गया है.
बर्खास्त होने के बाद ठेकमा के सहायक अध्यापक प्रमोद कुमार सिंह उच्च न्यायालय चले गए हैं. प्राथमिक विद्यालय भटपुरवा पठकौली, अतरौलिया के सहायक अध्यापक अविनाश प्रजापति की जांच चलने के कारण कार्रवाई नहीं हुई है, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि आरोपी नौ शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है. सहायक अध्यापक प्रमोद कुमार सिंह का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है. अविनाश प्रजापति की जांच चल रही है.
गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर शिक्षक की नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों के खिलाफ शासन ने जांच कराई. जांच की जिम्मदारी शासन ने एसटीएफ को दिया. एसटीएफ ने जांच की तो जिले में दस ऐसे शिक्षक मिले जिन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी हासिल की थी. जिसके बाद एसटीएफ ने विद्यालयों की सूची और शिक्षकों के नाम सहित सूची शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई और शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया था.