राजसमंद। जिले भर में बुधवार को शीतला सप्तमी के अवसर पर महिलाओं ने शीतला माता का पूजन कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की. महिलाएं हाथों में पूजा की थाली लेकर आधी रात से ही शीतला माता स्थानक में पूजा करने चली गईं। जहां शीतला माता का पूजन कर माताजी को ठंडा भोजन और पकवानों का भोग लगाया। महिलाओं ने एक दिन पहले ही खाना बना लिया था। भक्तों ने दिगंबर अवस्था में एक हाथ में झाड़ू और दूसरे हाथ में कलश लिए गले में विराजमान मां शीतला की प्रतिमा का पूजन किया। महिलाएं ठंडा खाना खाकर व्रत रखती हैं। जिले भर के घरों में चूल्हे नहीं जलाए गए और कई मंदिरों में रात में भजन भी हुए। शीतला माता मंदिर में सुबह चार बजे से ही कतार लग गई। माता शीतला की पूजा करने के बाद महिलाएं मेंहदी और सिंदूर से स्वस्तिक बनाकर मंदिर की दीवार पर 7 टीकाएं लगाती हैं।
परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे। घर की सुख-शांति के लिए मंदिर की दीवारों पर सिंदूर और मेहंदी से स्वास्तिक बनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। नहाना भी ठंडे पानी से ही करना है। इसके बाद पूजा करके ठंडा भोजन करना चाहिए। इससे बच्चे और परिवार को कोई आपत्ति नहीं है। शीतला माता की कृपा से घर में रोग प्रवेश नहीं करते हैं। शहर में सब्जीमंडी, छत्रियां, राजनगर कबूतरखाना, धोइंदा, असोतिया आदि क्षेत्रों में देर रात से ही महिलाओं का पूजा-अर्चना के लिए आना शुरू हो गया. महिलाएं शीतला माता, बलूदा रखवाली सिली शीतलाए मां.... का गीत गाती हुई पूजा करने पहुंचीं, हाथों में पूजा की थाली लिए। जहां महिलाओं ने माताजी की पूजा अर्चना कर परिवार व अपने छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की कामना की। वहीं, घरों में सिर्फ ठंडे पकवान ही परोसे गए। दही ओलिया, करी करी, केर सागरी करी, पूरी, मीठी पूरी, दही, रायता, लापसी आदि तैयार किए गए।