पीड़िता की मृत बच्ची व आरोपी का DNA नहीं हुआ मैच, बरी किया

Update: 2022-11-24 17:10 GMT
जोधपुर। विशेष अदालत पॉक्सो एक्ट जोधपुर महानगरीय अदालत ने बहुचर्चित मामले में संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी करने का आदेश पारित किया है. रेप के बाद गर्भवती हुई नाबालिग की मां द्वारा आरोपित व्यक्ति का मृत जन्मी बच्ची से डीएनए मैच नहीं हुआ।साथ ही पीड़िता ने कोर्ट में आरोपी द्वारा रेप किए जाने से इनकार किया। वहीं, पीड़िता ने दो अन्य लोगों पर कोर्ट में दुष्कर्म का आरोप लगाया है. उनका डीएनए भी मैच नहीं हुआ।शहर के खांडा फालसा थाने में एक महिला ने तीन फरवरी 2021 को थाना खांडा फालसा में मामला दर्ज कराया कि वह अपनी 17 वर्षीय बेटी की तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले गई.वहां डॉक्टर ने जांच की तो बताया कि वह पांच माह की गर्भवती है। बेटी से पूछने पर उसने बताया कि इलाके में दुकान चलाने वाले गोविंद लाल ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में पेश किया। बाद में पीड़िता ने मृत बच्ची को जन्म दिया।
आरोपियों की ओर से अधिवक्ता फेमेश कल्ला, स्नोहा पुरोहित व किशोर कुमार सिसोदिया ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों पर लगाए गए उपरोक्त आरोप निराधार, झूठे व मनगढ़ंत हैं. नाबालिग लड़की ने अपने 164 बयानों में आरोपी का नाम नहीं लिया है। ऐसे में पुलिस ने शिनाख्त परेड नहीं कराई।जबकि नाबालिग पीड़िता ने मृत बच्ची को जन्म दिया और डीएनए टेस्ट आरोपी से मैच नहीं हुआ. कहासुनी के दौरान पीड़िता ने कहा कि मेरी मां ने खुद ही मामला दर्ज करवाया है। वहीं आरोपी के मोबाइल से पीड़िता का कोई फोटो व वीडियो नहीं मिला है.बहस के दौरान पीड़िता ने खुद हैरान कर देने वाली बात कही कि उसके साथ दो और लोगों ने रेप किया था. जिस पर पुलिस ने उन दोनों आरोपितों का डीएनए टेस्ट कराया, लेकिन वह भी मैच नहीं हुआ। इससे साफ है कि पीड़िता और उसकी मां असली आरोपी को खुद बचा रही हैं और कोर्ट का समय बर्बाद कर रही हैं.कल्ला ने ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के दृष्टांतों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों के आधार पर आरोपियों को बरी किया जाना चाहिए। पीठासीन अधिकारी डॉ. सूर्य प्रकाश पारीक ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का आदेश पारित किया।

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