राजसमंद। इस बार पहले द्विपरजॉय और बाद में मानसूनी बारिश से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। इस बार समय पर मानसून आने के कारण किसान जून के मध्य से ही कृषि कार्य में जुट गये थे. हालांकि कृषि विभाग का खरीफ फसलों की बुआई का लक्ष्य पिछले साल की तुलना में कम हो गया है. पिछले साल खरीफ फसल की बुआई का आंकड़ा 95 हजार हेक्टेयर था. जो इस बार घटकर 90 हजार हेक्टेयर रह गया। लेकिन इस बार अच्छी बारिश के कारण बुआई का लक्ष्य 92 हजार हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा. 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुआई होने पर कुल खर्च 72 करोड़ रुपये आएगा। इस बार किसान कपास की जगह सोयाबीन, ग्वार की बुआई में रुझान दिखा रहे हैं. राजसमंद के किसानों ने पिछले दो साल में ही सोयाबीन की बुआई में उत्साह दिखाया है.
किसान हीरालाल जाट ने बताया कि मानसून से पहले प्री-मानसून बारिश के बाद खेत बुआई के लिए तैयार हो गए थे. लेकिन इस बार जून के मध्य में ही बिपरजॉय तूफान वरदान साबित हुआ। इसके साथ ही मानसून की बारिश ने पूरा फायदा दिया है. एक हेक्टेयर में न्यूनतम 8 हजार रुपये की लागत आती है. 25 किलो बीज यानी 2500 से 3500 रुपये, 60 किलो डीएपी खाद यानी 1600 रुपये, कीटनाशक आदि पर कम से कम 3 हजार रुपये का खर्च आता है. सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर 80 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, यानी बीज पर लगभग 8 हजार रुपये का खर्च आता है. खाद और कीटनाशक मिलाने पर भी कम से कम 10 हजार का खर्च आता है. फसल बुआई के रुझान पर नजर डालें तो लक्ष्य के 86 फीसदी मक्का फसल की बुआई होगी।