राजसमंद। भामाखेड़ा गांव में चल रहे 30 दिवसीय शिव महोत्सव के दूसरे चरण की रामकथा के 8वें दिन साध्वी श्रद्धा सरस्वती गोपाल ने कहा कि संसार में सभी प्राणी थोड़े-थोड़े दुखी हैं, कोई शरीर से, कोई मन से, कोई धन से दुखी है। . दुखों के निवारण के लिए रामकथा को जीवन में उतारने से व्यक्ति को सुख की अनुभूति होती है। भगवान भक्तों के अधीन हैं। परिवार में बुजुर्गों की भूमिका सबसे अच्छी होती है, सभी को बुजुर्गों का उचित सम्मान करना चाहिए। केवट निषादराज ने राम, सीता और लक्ष्मण के चरण धोकर उन्हें गंगा पार कराया, नाव में बैठाया, प्रयागराज में भारद्वाज मुनि के आश्रम गये, चित्रकोट में भरत मिलाप की कथा सुनाई। राम भरत मिलाप को झांकियों के माध्यम से दर्शाया गया। उन्होंने कहा कि कलयुग में संस्कारों की कमी के कारण पुत्र ही माता-पिता को कष्ट दे रहे हैं। अब समय आ गया है कि कलयुग की पीढ़ी को संस्कार देकर परिवार, देश और धर्म की रक्षा की जाए। शिव महोत्सव के तीसरे चरण में गुरुवार से साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती भागवत कथा कहेंगी।