स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट परफार्मेंस स्टेट अवाॅर्ड श्रेणी में राजस्थान देश में तीसरे स्थान पर
राजस्थान | स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट परफार्मेंस स्टेट अवाॅर्ड श्रेणी में राजस्थान देश में तीसरे स्थान पर रहा। वहीं, राजधानी जयपुर में 7 साल में एक भी काम ऐसा पूरा नहीं हाे पाया जिससे स्मार्ट सिटी की परिकल्पना पूरी हाेती हाे। विभिन्न याेजनाओं में 2300 कराेड़ रुपए का बजट मिला, लेकिन अभी तक केवल 904.50 करोड़ के काम ही किए। 238 कराेड़ के काम अभी भी होने हैं। जयपुर के 11 में से केवल 2 बाजाराें में काम हुआ।
238 कराेड़ के 19 प्राेजेक्ट अधूरे
जयपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की डेडलाइन एक साल बढ़ चुकी है, यानी स्मार्ट वर्क के लिए एक साल और मिल गया। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स की नींव 25 जून 2016 को रखी गई थी। 137 प्रोजेक्ट्स 2019 के आखिरी तक पूरे करने थे, पर ग्राउंड पर 666.26 कराेड़ खर्च कर 118 काम ही पूरे हुए। जाे काम हुए इनमें से ज्यादातर विधायकों के सिफारिशी हैं। स्मार्ट सिटी में केवल सिविल वर्क पर फाेकस रहा।
जयपुर में 1 हजार कराेड़ रुपए खर्च किए जाने थे, इनमें से 904.50 कराेड़ स्मार्ट सिटी कंपनी काे मिल चुके हैं। देरी की वजह- स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा 3 बार कंसलटेंट का बदला जाना है।
सीवर पानी की 100% री-साइिकलिंग होनी थी: रिहायशी क्षेत्रों से बस या मेट्रो तक पहुंचने के लिए छोटी बसों/ई-रिक्शा यानी फीडर सर्विस का विस्तार। एप से बस/मेट्रो की ऑनलाइन टिकट। एप यह भी बताता कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट आपसे कितनी दूरी पर है। बीआरटीएस या मेट्रो रूट शिक्षण संस्थानों, प्रमुख सरकारी कार्यालयों, प्रमुख पर्यटन स्थलों, प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों को लिंक करते हुए होना चाहिए था। बस शेल्टर व मेट्रो स्टेशन पर बसों के आने-जाने का समय डिस्प्ले होता, ई-कियोस्क लगाए जाते, हर शहरी को फ्री वाई-फाई मिलता एवं इंतजार के लिए बेहतर सिटिंग व्यवस्था की जाती। सीवर पानी की 100% री-साइिकलिंग भी होनी थी।