चित्तौरगढ़। रेल टिकटों की कालाबाजारी के खिलाफ रेलवे सुरक्षा बल चित्तौडग़ढ़ की टीम ने कार्रवाई की है. शिकायत मिलने पर ई-मित्र संचालक को पकड़ लिया गया है। वह अवैध तरीके से लोगों के रेलवे टिकट बना रहा था। इसके साथ ही वह हर टिकट पर 50 रुपये अधिक ले रहा था। आरोपी के पास लाइसेंस भी नहीं है। वह अपनी निजी आईडी से लोगों के लिए टिकट बुक करता है। इसे रेलवे कोर्ट अजमेर में पेश किया जाएगा।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के सीआई नाथूराम जाट ने बताया कि मुखबिर से रेलवे टिकटों की कालाबाजारी की सूचना मिली थी. सूचना पर इंस्पेक्टर चित्तौड़गढ़ चौकी चित्तौड़गढ़ शहर में चित्तौड़गढ़-निंबाहेड़ा मार्ग पर स्थित ई मित्रा नाम से संचालित दुकान पर मेरा स्टाफ पहुंचा. इधर, श्रीपुरा निवासी मोंटू जायसवाल ई-मित्र दुकान के काउंटर पर मिले। इससे रेलवे टिकट बुक करने के बारे में पूछताछ की। इसमें आरोपी ई मित्र संचालक ने स्वीकार किया कि पिछले एक साल से वह खुद रेलवे टिकट बुक करा रहा था। उस दुकान पर ऑनलाइन काम जिसमें आधार कार्ड, ऑनलाइन फॉर्म भरना और रेलवे आरक्षित ई-टिकट बुकिंग शामिल है।
उन्होंने बताया कि आरोपियों ने रेलवे टिकट बुक करने के लिए कोई लाइसेंस नहीं लिया था. आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने आईआरसीटीसी की एक निजी आईडी बनाई थी। इसके जरिए रेलवे के आरक्षित ई-टिकटों की बुकिंग कर 10 रुपये कमीशन लेकर जरूरतमंद व्यक्तियों को बेचता है। टिकट की कीमत से 50 रुपये प्रति टिकट अधिक। अपनी व्यक्तिगत आईडी से रेलवे आरक्षित ई-टिकट बुक करते समय, वह सेंटी चित्तौड़गढ़ में अपने एचडीएफसी बैंक खाते से भुगतान यूपीआई के माध्यम से टिकट के पैसे का भुगतान करता था।
आरपीएफ की जांच में सामने आया कि दुकान पर उसके द्वारा बुक किए गए कुल 24 ई-टिकटों के प्रिंट मिले। उनकी जांच में पता चला कि 24 रेलवे आरक्षित ई-टिकट 27 हजार 499 रुपये के थे। आरपीएफ सीआई ने बताया कि मौके पर आवश्यक कार्रवाई करते हुए उनके द्वारा कुल 24 रेलवे आरक्षित ई-टिकट प्रस्तुत किए गए, रेलवे टिकट बुक करने के लिए लैपटॉप का उपयोग किया गया। और उसका मोबाइल फोन जब्त कर लिया। यही दोस्त संचालक को थाने ले आया। मामले की आगे की जांच एएसआई सुभाष चंद शर्मा को सौंपी गई है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसे रेलवे कोर्ट अजमेर में पेश किया जाएगा।