राजसमंद। गणगौर महोत्सव के अंतिम दिन रविवार को जब शाही लवाजमे के साथ गुलाबी गणगौर की सवारी परंपरागत रूप से प्रभु द्वारकाधीश मंदिर से रवाना हुई तो इसमें शामिल सभी लोग गुलाबी नजर आए। महोत्सव के तीसरे दिन सवारी होने के कारण सबसे ज्यादा भीड़ रही। शाम को जब शहर के पारंपरिक मार्गों पर सवारी निकली तो पूरे सवारी मार्ग में ठाकुरजी के मंदिर से लेकर बालकृष्ण स्टेडियम तक सड़कों पर सिर्फ श्रद्धालु ही नजर आ रहे थे. रास्ते के हर घर की छतों पर, जहाँ भी जगह होती, सवारी देखने के लिए लोग जमा हो जाते थे, उनमें से ज़्यादातर गुलाबी रंग के कपड़े पहने होते थे। प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से शोभायात्रा निकली और जैसे-जैसे आगे बढ़ी उसका जयकारों और फूलों की वर्षा से स्वागत किया गया।
सवारी में प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से गुलाबी रंग की वेशभूषा में सजी गणगौर की प्रतिमाओं और सुखपाल में विराजमान प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि को पूरे हर्षोल्लास के साथ निभाते हुए सवारी रवाना हुई। इसमें भगवान की प्रतिमा को भी गुलाबी रंग में सजाया गया था। वहीं, तुरही, बांकिया और नगाड़ा सहित बैंड के करीब आधा दर्जन जत्थों द्वारा लोकगीतों और भक्ति संगीत की मधुर ध्वनि लहरों ने माहौल को पूरी तरह उत्सवमय बना दिया। सवारी में सबसे आगे हाथी थे, उसके पीछे ढोल घोड़ा और बैंड था। साथ ही ऊंट गाड़ी में आकर्षक झांकियां सजाई गईं। सवारी के दौरान दो बैंड मंदिर बैंड भक्ति धुन बजा रहे थे। सहरिया डांस पार्टी के कलाकार मारवाड़ी ढोल की थाप पर लोकनृत्य प्रस्तुत कर रहे थे। बालिकाएँ सिर पर कलश रखकर चल रही थीं और गणगौर नृत्य कर रही थीं। इसका संचालन गोविन्द औदिच्य एवं उनकी टीम ने किया। इसके बाद घोड़ों, ऊंटों और रथों पर आकर्षक झांकी निकाली गई। हनुमानजी की मनमोहक झांकी के आगे लोग श्रद्धा से नतमस्तक होते नजर आए। मारवाड़ी ढोल वादक अपने वादन से भक्तों को झूमने पर विवश कर रहे थे। कच्छी घोड़ी कलाकार भी ढोल पर नृत्य सहित अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे। सबसे पीछे मशाल और फिर सुखपाल में बैठे प्रभु द्वारकाधीश की छवि शामिल थी। रास्ते भर श्रद्धालुओं ने उस पर पुष्पवर्षा की। इस दौरान कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।