पाली। पाली शहर की एक रसोई इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. वजह यह है कि यहां रोटी बैंक बनाया गया है और यह बैंक इंसानों के लिए नहीं बल्कि बेजुबान जानवरों के लिए है। यहां रोजाना 250 किलो से ज्यादा आटे की रोटियां बनती हैं। इन रोटियों से शहर के करीब 4 हजार बेसहारा मवेशियों और कुत्तों का पेट भरता है. पूरा काम 113 लोगों की टीम देखती है। संभवत: यह प्रदेश की पहली रसोई (रोटी बैंक) होगी। जहां रोजाना पशुओं के लिए इतनी रोटियां बनती हैं। यह रोटी बैंक पाली के राणा प्रताप चौक में है। इसकी शुरुआत 28 मार्च 2020 को उनके पुत्र आनंद कावड़ ने डोपलिया बास निवासी मदनलाल कावड़ की प्रेरणा से की थी। कोरोना काल में पशुओं के खाने-पीने की समस्या को देखते हुए उन्होंने रोटी बैंक खोला था। 31 मार्च 2020 को उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद भी आज भी रोटी बैंक चल रहा है।
आनंद कावड़ ने बताया कि रोटी बैंक की शुरुआत में रोजाना 25 किलो आटे की रोटियां बनती थीं. वर्तमान में 250 किलो आटे की रोटियां बनाई जा रही हैं। इस काम में 8 महिलाएं और एक मुनीम लगा हुआ है। यहां रोजाना करीब 4 हजार मवेशियों और कुत्तों के लिए रोटियां बनाई जाती हैं। मजदूरी, आटा, गैस, लाइट-पानी बिल मिलाकर मासिक खर्च करीब साढ़े तीन लाख रुपए है। शुरुआत में दिक्कतें आईं, लेकिन उनके काम को देखकर डोनर जुड़ते गए और अब किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। रोटी बैंक से 113 पशु मित्र जुड़े हैं। जो मुहल्ले में जाकर जानवरों को रोटी खिलाते हैं। रोटी बैंक से जुड़े ज्यादातर लोग रिटायर हो चुके हैं। और उनकी दिनचर्या में गायों और कुत्तों को रोटी देना शामिल है। वे रोजाना रोटी बैंक आते हैं और यहां से रोटियों के बंडल लेकर अपने मोहल्ले की गायों और कुत्तों को बांट देते हैं।