नागौर। नागौर बताते हैं कि कोरोना काल में वर्ष 2021-22 में जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या चार लाख दो हजार 833 हो गई थी। वर्ष 2020-21 में यह संख्या तीन लाख 67 हजार 981 थी, यानी 35 हजार से अधिक विद्यार्थियों की वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2022-23 में दस-दस फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया। बारहवीं उत्तीर्ण के विद्यार्थियों के निकलने के बाद सबकुछ ठीक रहता तो यह संख्या चार लाख दो हजार 833 से बढ़कर चार लाख साठ हजार का आंकड़ा पार करती। जिन्हें स्कूल छोड़ना था वो तो चले ही गए और नामांकन का लक्ष्य भी धरा का धरा रह गया तो विद्यार्थियों की संख्या रह गई तीन लाख 68 हजार 725 यानी करीब नब्बे हजार नामांकन का टोटा पड़ गया।
नागौर. सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने की तमाम कोशिश सिरे नहीं चढ़ पा रही है। जिले के तीन हजार से अधिक स्कूलों में छह साल बाद भी करीब अठारह हजार विद्यार्थी का अंतर बढ़ा दिख रहा है यानी तीन हजार प्रति साल। इसका आकलन ऐसे करें तो औसतन एक बच्चा भी हर स्कूल में हर साल नहीं बढ़ा, वो इसलिए कि जिले के सरकारी स्कूलों की संख्या तीन हजार 25 है। कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस वसूली के चलते जरूर एक बारगी बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ था, लेकिन हालात सामान्य होते ही उन्होंने वहां वापसी कर ली।
सूत्रों के अनुसार नागौर जिले के 3025 स्कूलों में वर्ष 2017-18 में विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख पचास हजार 305 रही, जबकि वर्ष 2022-23 में यह संख्या तीन लाख 68 हजार 725 थी। यानी छह साल में 18 हजार 420 विद्यार्थियों की बढ़ोत्तरी हुई। हर साल प्रवेशोत्सव में लगने वाले बीस हजार से अधिक शिक्षकों की मेहनत के परिणाम से शिक्षा विभाग के आला अफसर तो क्या मंत्री तक संतुष्ट नहीं है। वर्ष 2022-23 में हर ब्लॉक के सीबीइओ को दस-दस फीसदी की वृद्धि का लक्ष्य भी दिया गया था। लक्ष्य तो पूरा हुआ नहीं बल्कि जो विद्यार्थी पढ़ रहे थे, उनमें से ही काफी संख्या में टीसी कटाकर निजी स्कूल में भर्ती हो गए। नोटिस पर नोटिस दिए गए पर इसका कोई लाभ स्कूलों को तो नहीं मिला।