32 जनों के स्टाफ में कोई भी एनसीसी का प्रभारी बनने को तैयार नहीं हुआ, एमएसजे में भी छात्राओं को नहीं मिलेगा प्रवेश
एक तरफ केंद्र सरकार अग्निवीर योजना के जरिए युवाओं को सेना से जोड़ने का प्रयास कर रही है। वहीं, संभाग के सबसे बड़े आरडी गर्ल्स कॉलेज में स्टाफ की लापरवाही से राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) इकाई की ही मौत हो गई है। यह यूनिट पिछले 5 साल से बंद है। लेकिन, इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। छात्राओं का एनसीसी में जाने का सपना भी अधूरा रहेगा क्योंकि इस साल से छात्राओं को एमएसजे की दोनों एनसीसी इकाइयों में प्रवेश नहीं मिलेगा। सरकार ने छात्राओं को सह-शिक्षा महाविद्यालयों की एनसीसी इकाइयों में तभी प्रवेश देने को कहा है, जब वे गर्ल्स कैडेट इंस्ट्रक्टर (जीसीआई) हों।
छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। इधर एमएसजे कॉलेज की एनसीसी इकाई में 15 अगस्त के आसपास दाखिले शुरू होंगे। 3-राज इकाई में 72 सीटें हैं। 3 राज एनसीसी प्रभारी लेफ्टिनेंट डॉ. हरवीर सिंह का कहना है कि छात्राओं में एनसीसी को लेकर काफी जोश है। सार्जेंट निशा कुमारी राजपथ पर मार्च पास्ट में भरतपुर का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। गौरतलब है कि आरडी गर्ल्स कॉलेज 6 राज एनसीसी में। इसमें 100 सीटें थीं। लेकिन, वर्ष 2018 से यहां प्रवेश नहीं मिल रहा है।
क्योंकि कोई भी प्रोफेसर एनसीसी की कमान संभालने को तैयार नहीं है, जबकि कॉलेज में 32 लोगों का स्टाफ है। उनका तर्क है कि पारिवारिक समस्याओं और जिम्मेदारियों के कारण वे इस जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर सकते। प्राचार्य डॉ. धीरेंद्र देवर्षि का कहना है कि उन्होंने सभी से कई बार पूछा है, लेकिन कोई भी कार्यभार संभालने को तैयार नहीं है। इसलिए एनसीसी यूनिट को बंद कर दिया गया।