झारखंड में लंबित निकाय चुनाव का मामला, राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट करवाने का निर्णय लिया
झारखंड में लंबित निकाय चुनाव का रास्ता साफ होता दिख रहा है. राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट करवाने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों के आरक्षण की पात्रता तय करने के लिए डेडिकेटेड कमीशन बनाने का निर्णय लिया हैं. आपको बता दें कि पिछड़ा वर्ग आयोग को ही डेडिकेटेड कमीशन के रुप में काम देने का निर्णय लिया गया है. वहीं, राज्य सरकार ने निकाय चुनाव कराने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने का निर्णय लिया है तो सियासत शुरू हो गई है.
बीजेपी ने साधा निशाना
झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा, ट्रिपल टेस्ट की घोषणा सीएम ने जरूर किया है, लेकिन ट्रिपल टेस्ट कब तक पूरा करके रिपोर्ट देगा और कब नगर निकाय का चुनाव करवाएंगें. सीएम में हिम्मत है तो घोषणा करें. वहीं, राज्य सभा सांसद आदित्य साहू ने कहा कि राज्य सरकार हर अच्छे काम से बचना चाहती है. पिछड़ों का शोषण और अन्याय का काम करती है चाहे निकाय चुनाव हो या पंचायत चुनाव हो. झारखंड की सरकार इस राज्य को बर्बाद करना चाहती है.
जेएमएम ने किया पलटवार
जबकि जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने निकाय चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट कराए जाने के फैसले पर कहा, बीजेपी का दोहरा चरित्र समझ से परे है. हमारी सरकार नगर निकाय चुनाव, पिछड़ों का आरक्षण निर्धारित करवाना चाहते हैं, उस पर भी सवाल उठाया जा रहा है और सवाल उठाने का काम बीजेपी कर रही है. पिछड़े वर्ग आयोग के द्वारा ट्रिपल टेस्ट होने के बाद चुनाव का मार्ग जल्द से जल्द प्रशस्त हो जायेगा. जल्द से जल्द हो ये राज्य सरकार की चाहती है. इसमें भी आगे अडंगा लगाने का काम विपक्षी दल करती है तो दुर्भाग्यपूर्ण है.
क्या है ट्रिपल टेस्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट का फॉर्मूला दिया है. इसके तहत राज्य में पिछड़ेपन की स्थति की जानकारी के लिए आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक के साथ प्रकृति और प्रभाव का डेटा इकठ्ठा करने लिए विशेष आयोग का गठन किया जाना आवश्यक है. राज्य सरकार को इस विशेष आयोग की सिफारिश के आधार पर नगर निगम और नगर पालिका चुनाव में आनुपातिक आधार पर आरक्षण देना है. ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ही ST, SC और OBC के लिए तय आरक्षण की सीमा 50% से अधिक न हो.