Jaipur: ग्रामीणों के लिए राहत का दूसरा नाम बना 'रास्ता खोलो अभियान

Update: 2024-11-30 14:31 GMT
जयपुर । जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के निर्देश पर शुरू हुआ रास्ता खोलो अभियान ग्रामीणों एवं आमजन के लिए राहत का दूसरा नाम बन गया है। 15 नवंबर को शुरू हुए रास्ता खोलो अभियान की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महज 15 दिनों में जिला प्रशासन ने सहमति एवं समझाइश की नीति से जयपुर एवं जयपुर ग्रामीण में 132 कदमी, कटानी, गैर मुमकीन सहित अन्य सभी प्रकार के रास्तों को खुलवाने में कामयाबी
हासिल की है।
अतिरिक्त जिला कलक्टर एवं अभियान की नोडल ऑफिसर श्रीमती सुमन पंवार ने बताया कि जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के निर्देश पर रास्ता खोलो अभियान के तहत बरसों से बंद रास्ते खुले तो ग्रामीणों एवं आमजन की गांवों और खेतों तक की राह आसान हुई।
उन्होंने बताया कि रास्ता खोलो अभियान के तहत विगत 15 दिनों में जोबनेर तहसील में सर्वाधिक 11 रास्ते खुलवाए गए। वहीं, चौमूं एवं सांगानेर तहसील में 10-10 रास्ते, आमेर, आंधी, शाहपुरा, फुलेरा एवं माधोराजपुरा में 9-9 रास्ते खुलवाए गए हैं।
साथ ही उन्होंने बताया कि रास्ता खोलो अभियान के तहत किशनगढ़-रेनवाल एवं चाकसू तहसील में 8-8 रास्ते, जमवारामगढ़ तहसील में 7 रास्ते, बस्सी एवं कोटखावदा तहसील में 6-6 रास्ते, रामपुरा-ड़ाबड़ी, जालसू में 5-5 रास्ते, कालवाड़, तुंगा तहसील में 4-4 वहीं, जयपुर तहसील में जिला प्रशासन को 3 रास्ते खुलवाने में कामयाबी हासिल हुई।
जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने अधिकारियों को रास्ता खोलो अभियान के तहत बंद रास्ते खुलवाए जाने के पश्चात खोले गए रास्तों पर ग्रेवेल, सी.सी. रोड़ बनवाये जाने की कार्यवाही भी जल्द से जल्द अमल में लाने के निर्देश दिये हैं, इन निर्देशों की अनुपालना में अधिकांश स्थानों पर ग्रेवल रोड बनाने की कार्यवाही भी आरंभ की जा चुकी है। वहीं, जिन रास्तों के वाद न्यायालय में विचाराधीन है परिवादियों द्वारा संबंधित न्यायालय से ही अनुतोष प्राप्त किया जाएगा।
इस दौरान ग्रामीणों ने बताया कि गांव और खेतों की ओर जाने वाली राह आसान करने के लिए जिला प्रशासन के इस अभियान से निश्चित रूप से आमजन को राहत मिलेगी। जिला प्रशासन एवं पुलिस ने सहयोग कर दशकों से बंद सिवायचक, कटानी एवं गैर मुमकिन सहित अन्य सभी प्रकार के रास्तों को खुलवा कर उनकी राह बेहद आसान कर दी है। उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ रास्ते तो करीब 50 से भी अधिक सालों से बंद थे, लेकिन सहमति एवं समझाइश से इन रास्तों को भी खुलवाने में कामयाबी मिली।
ग्रामीण क्षेत्रों में रास्तों की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर जनसुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में परिवाद प्राप्त होते हैं। रास्तों को लेकर न्यायालय में भी वाद दायर किए जाते रहते हैं। ऐसे प्रकरणों में निरन्तर बढ़ोतरी होने से आमजन को न्यायालय के चक्कर लगाने एवं जन-धन की हानि होने के साथ-साथ क्षेत्र की कानून व्यवस्था भी प्रभावित होती है। इसलिए प्रशासन ने रास्ते सम्बन्धी समस्याओं के निराकरण के लिए ‘रास्ता खोलो अभियान’ चलाने का निर्णय लिया गया।
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