किलो खरीदने वाले पाव तक ही सीमित, महंगाई ने बिगाड़ा बजट
किलो खरीदने वाले पाव तक ही सीमित
ज़ैसल्मेर। पिछले कई दिनों से खुदरा मंडी में टमाटर के अलावा अन्य सब्जियों की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं। आने वाले समय में सब्जियों के दामों में और तेजी आ सकती है। मानसून के मौसम के चलते हरी सब्जियों के दाम कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिछले कुछ समय से पहले कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि ने आम आदमी की थाली से टमाटर को गायब कर दिया। अब अन्य सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं। सब्जियों के बढ़ते दामों ने आम आदमी के घर के बजट को हिलाकर रख दिया है और रसोई से रोजमर्रा की सब्जियां भी गायब हो गई हैं।
होटल वाले भी दाम बढ़ने से परेशान महंगाई की मार अब होटलों में खाने के भी पड़ने लगी है। उसके बावजूद होटल वालों ने खाने की दरें नहीं बढ़ाई है। होटल व्यापारी बेरीसाल कुमावत और घनश्याम शर्मा का कहना है कि खाने का मेन्यू कार्ड एक बार बन गया है। दूसरा कारण ग्राहकों की अच्छी आवक रहेगी तो आमदनी भी होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हरी सब्जियां महंगी होने के बाद भी खाने के दाम नहीं बढ़ाए हैं। सब्जियों के दाम एक नजर टमाटर, अदरक दोनों 200 रुपए किलो, शिमला मिर्च 100 से 110 रुपए किलो, धनिया 200, खीरा 50 से 60 रुपए, भिंडी 80, फूल गोभी 120, पत्ता गोभी 60, नींबू 50, करेला, हरी मिर्च 60 से 80, ककड़ी 80, टिंडसी 60 रुपए किलो बिक रही है।
रोज कमाकर खाने वालों की हालत पतली घर की रसोई से टमाटर, मिर्ची और अन्य हरी सब्जियां गायब हो गई है। सब्जी लेने बाजार पहुंचने वाले लोगों का कहना है सब्जियों के दाम में 3 से 4 गुना बढ़ोतरी हुई है। रोज कमा कर खाने वाले लोग बाजार से नाम मात्र की सब्जियां ही खरीद पा रहे हैं। महंगाई के कारण टमाटर जैसी सालभर काम आने वाली सब्जी ने किलो से खरीदारी करने वालो को आधा किलो और पाव तक सिमटा दिया। हरी सब्जियों के आसमान छूते दामों ने रसोई का बजट बिगाड़ कर के रख दिया। गांवों में तो लोगो ने सूखी सब्जियों और स्थानीय दालो का अधिक प्रयोग करना शुरू किया हैं।