आरजीएचएस में रोजाना 1 हजार तक दवा की अनिवार्यता बनी परेशानी, मरीज परेशान
अलवर। अलवर राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही राजस्थान गर्वमेंट हेल्थ स्कीम आरजीएचएस में पेंशनरों व सरकारी कर्मचारियों को एक दिन में अधिकतम एक हजार रुपए तक दवा लेने की अनिवार्यता परेशानी का कारण बन गई है। योजना में किया गया नया संशोधन गंभीर बीमार पेंशनरों व सरकारी कर्मचारियों की समस्या बन गया है। गंभीर बीमारी के पेंशनर व सरकारी कर्मचारी आरजीएचएस में पंजीकृत निजी चिकित्सालय में आउटडोर में पांच दिन तक ही उपचार ले सकते हैं। इसके साथ ही एक दिन में एक हजार तक की दवा ले सकते हैं। इससे ज्यादा की दवा लेनी हैं तो जेब से खर्चा करना होगा। इस राशि का पुर्नभरण बाद में होगा। इसके चलते उन मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही हैं जो कैंसर, किडनी, लीवर, गुर्दा, ब्रेन हेमरेज जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।
यह योजना पेंशनर के लिए परेशानी बन गई है। पहले कोई सीमा तय नहीं थी, बार बार इसमें संशोधन किया जा रहा है। कैंसर मरीज को पहले मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश होना होगा तभी उपचार मिलेगा, आक्सीजन सिलेंडर आदि की रेट भी तय कर दी है। पेंशनर पंजीकृत अस्पताल में पांच दिन ही उपचार ले सकता है, एक दिन में एक हजार की दवा लेने का नियम से परेशानी हो रही है। निजी अस्पताल योजना में निर्धारित दरों पर इलाज नहीं कर रहे। पेंशनर्स को जेब से खर्च देना पड़ रहा हैं। भर्ती मरीज़ की बीमारी में कितने दिन लगेंगे यह अग्रिम कैसे तय किया जा सकता है।केस 2शिवाजी पार्क निवासी रामबाबू सारस्वत, 86 फेफडों में फोडा होने पर गंभीर बीमार है। जयपुर के निजी अस्पताल में पांच दिन वेंटीलेटर पर रही। पांच दिन पहले अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। अब अपने पैसे से उपचार करवा रही हैं। अलवर. अलवर में मेडिकल कॉलेज खुलने से चिकित्सा सेवाओं का विस्तार जरूर हुआ है, पर आमजन की आस अभी अधूरी है। लोगों को उम्मीद थी कि मेडिकल कॉलेज शुरू होने पर अलवर में सुपर स्पेशलिटी सेवाएं शुरू हो सकेंगी। वहीं, अब मेडिकल कॉलेज तो शुरू हो गया, लेकिन आमजन की उम्मीद अभी पूरी नहीं हो सकी है।
इन बीमारियों के विशेषज्ञों का इंतजार : जिला अस्पताल में हृदय रोग, न्यूरो सर्जन व फिजिशियन, नेफ्रोलोजिस्ट एवं डायबिटीज स्पेशलिस्ट सहित कई गंभीर बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। ऐसे में इन बीमारियों से पीड़ित गंभीर प्रकृति के मरीजों को रैफर किया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में जिला अस्पताल से 3209 मरीजों को रैफर किया गया। जबकि इस साल 31 जुलाई तक 2126 मरीजों को रैफर किया गया। इसके साथ ही बड़ी संख्या में ऐसे मरीज भी है, जो इलाज के लिए सीधे बड़े शहरों का रुख कर लेते हैं। राज्य सरकार की ओर से अलवर मेडिकल कॉलेज के लिए 40 फैकल्टी स्वीकृत की गई थी।