कोटा। कोटा 14 महीने की बच्ची लाया था। परिवार के सदस्य की तरह पाला। गर्मी के दिनों में पंखे में रखता था। 7 बजे से सेवा में लगा रहता था पूरा परिवार। सालभर से कमाई का एक ही जरिया था। वो भी छोड़कर चला गया। 28 महीने की घोड़ी की मौत पर मालिक के परिवार के आंसू नहीं रूके। मौत का दर्द इतना है कि आंसू भी जवाब दे गए। दरअसल जिले के मंडाना गांव में शुक्रवार दोपहर 4 बजे एक घोड़ी बिना मुंडेर के कुएं में गिर गई। 10 से 15 गहरे कुएं में ऊपरी हिस्से में कचरा पड़ा हुआ था। दलदल में फंसने से घोड़ी बाहर नहीं निकल सकी। और वो कुएं में धसती चली गई। घोड़ी को मरता देख उसका मालिक पवन सुमन ने ग्रामीणों के साथ मिलकर उसे बचाने की लाख कोशिश की। पर उसे बचा नहीं पाए। करीब 1 घंटे में घोड़ी की लाश निकली। घोड़ी के मौत पर मालिक पवन व उसका बेटा चंदन फूट फूट कर रोए। बेटा चंदन तो मरी हुई घोड़ी को शरीर के लिपट गया। स्थानीय ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से दोनों को संभाला।
पवन सुमन ने बताया करीब डेढ़ साल पहले बड़ी घोड़ी और 20 हजार ऊपर से देकर 14 महीने की बच्ची को लाया था। सुबह 7 बजे से उसके चारे पानी के लिए परिवार सेवा में लगा रहता था। उसे पंखे में रखते थे। परिवार के सदस्य की तरह उसे पाला था। बड़ी होने पर शादी ब्याह में वो ही कमाई का जरिया बनी। शुक्रवार को बेटा चंदन उसे चराने लेकर गया था। लगभग 4 बजे वापस घर लौट रहा था। घर से 500 फीट दूरी पर बिना मुंडेर का कुआं है जिसमें में कचरा पड़ा है। रास्ते मे पड़ोसी की गाड़ियां खड़ी रहने से घोड़ी कुएं की तरफ से होकर आ रही थी। पीछे पीछे बेटा भी चल रहा था। अचानक चलते चलते घोड़ी कुएं में गिर गई। कचरे के कारण दलदल में फंस गई। स्थानीय लोगों की मदद से घोड़ी को निकालने की कोशिश की।
पंचायत, तहसील व पुलिस को सूचना दी। लेकिन कोई मदद नहीं मिली।डंडों की मदद से कुएं में पड़े कचरे को बाहर निकाला। तब तक घोफी डूब चुकी थी। करीब 1 घंटे की मशक्कत के बाद घोड़ी का पैर पकड़कर बाहर निकाला। उसकी मौत हो चुकी थी। इस कुएं में पहले भी हादसे हो चुके। उसके बाद भी इसे बंद नहीं करवाया गया। पवन ने बताया कि शादी की सीजन में करीब 50 हजार की बुकिंग ले रखी थी। सब धरी रह गई। कमाई का एक ही जरिया था। वो भी खत्म हो गया। अब तो 9 साल की एक घोड़ी बची है। परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा, एक बेटी है। दोनों पढ़ाई करते है।