झुंझुनू। झुंझुनू युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है। खासकर 20-30 साल के युवा इस दलदल में फंस रहे हैं. सबसे बड़ा नशा गांजा का है। इसके अलावा शराब, तंबाकू, गांजा, स्मैक, भांग, डोडा-पोस्त, दवा आदि का नशा करने वाले भी शामिल हैं। जिले में यह धंधा तेजी से फेल रहा है। इसकी चपेट में कई युवा आ चुके हैं। लेकिन एक बार इस दलदल में फंस जाने के बाद वापसी का रास्ता आसान नहीं होता। लेकिन अच्छी बात यह है कि कई युवा इस दलदल से निकलने की कोशिश करने लगे हैं, डॉक्टरों की शरण लेने लगे हैं. नशामुक्ति और मनोरोग अस्पतालों की ओपीडी में 100 में से 40 नशेड़ी हैं। इस लत को छोड़ने वालों में स्कूली बच्चे भी शामिल हैं।
गांजे के बाद युवाओं में भांग और स्मैक की लत सबसे ज्यादा है। स्कूलों और हॉस्टलों में रहने वाले छात्र-छात्राएं चोरी-छिपे गांजा खरीदते हैं और चोरी-छिपे उसका सेवन करते हैं। गांजा बच्चों को भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। झुंझुनूं के अलावा पिलानी व चिड़ावा, खेतड़ी, नवलगढ़ में भी गांजा पीने वाले युवाओं की संख्या बढ़ रही है. शहर में कई जगहों पर नशे का कारोबार चल रहा है, सब कुछ जानते हुए भी पुलिस भी बेखबर बैठी है। एनडीपीएस एक्ट के तहत की गई कार्रवाई पर नजर डालें तो पूरे साल में नाममात्र की ही कार्रवाई हुई है।
झुंझुनूं समेत कई कस्बों में नशे का कारोबार फलफूल रहा है। इससे युवाओं को नशीला पदार्थ आसानी से मिल जाता है। बेचने वाले भी इतने शातिर हैं कि भांग की फली सबको नहीं देते बल्कि जिसे पहचानते हैं उसे आसानी से दे देते हैं। इनमें से अधिकांश ग्राहक साधारण लोग हैं। झुंझुनूं शहर में भी कई जगह ऐसी हैं जहां तस्कर नशीला सामान बेच रहे हैं। शाम होते ही नशेड़ियों की लाइन लग जाती है। बीडीके अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. कपूर थालोर ने बताया कि नशा छोड़ने के लिए युवा इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, इसके लिए जन जागरूकता की जरूरत है. नशा करने वाले को पहल करनी होगी, परिवार का साथ होना बहुत जरूरी है, मजबूत इरादे से ही नशा छोड़ा जा सकता है।