कोटा। कोटा मानसून सीजन चल रहा है। बादलों की मेहरबानी लगातार हो रही है। इससे बारिश का पानी जगह-जगह भरा है। इससे मच्छरजनित बीमारियां बढ़ने लगी हैं। डेंगू का डंक भी बढ़ने लगा है। अब रोजाना डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। सरकार व प्रशासन एलाइजा टेस्ट को ही डेंगू मानती है, लेकिन वर्तमान में कार्ड टेस्ट से मरीज सामने आ रहे हैं। डेंगू को लेकर चिकित्सा विभाग भी हाई अलर्ट पर आ गया है। विभाग ने टीमें बनाकर सर्वे व एक्टिविटी शुरू की है। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है। असल में डेंगू के मच्छर दिन में सबसे ज्यादा काटते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके काटने की संभावना शाम या रात को नहीं. अंधेरा होने के बाद भी डेंगू के मच्छर काट सकते हैं। हालांकि ये रात में उसी जगह होते हैं, जहां लाइट होती है। अक्टूबर व नवंबर में इसका पीक सीजन माना जाता है। जब तक तापमान नीचे गिरकर 15-16 डिग्री तक नहीं आ जाता, तब तक डेंगू होने का खतरा बना रहता है।
दिलचस्प बात यह है कि डेंगू फैलाने वाली एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छर की उम्र एक महीना तक ही होती है, लेकिन इतने से जीवन काल में वह 500 से लेकर 1000 तक मच्छर पैदा कर देती है। यह मच्छर तीन फुट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता। यह मच्छर कूलर, गमलों, फ्लावर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों व टायर आदि में भरे पानी और आबादी के आसपास गड्ढों में लंबे समय तक पड़े साफ पानी में अंडे देती है। यह एक बार में 100 से लेकर 300 तक अंडे देती है। अंडों से लार्वा बनने में 2 से 7 दिन लगते हैं। लार्वा के बाद 4 दिन में यह मच्छर की शेप में आ जाता है और 2 दिन बाद उड़ने लायक बन जाता है। तेज बुखार, सिरदर्द, मांस पेशियों में दर्द, स्किन पर लाल रंग के दाने निकलना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जोड़ों में दर्द, सूजन आना, मसूड़ों व नाक से खून निकलना डेंगू के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण सामने आने पर तुरंत अस्पताल में जाकर जांच करवानी चाहिए।