उदयपुर। एक लाख 70 हजार रुपये देकर दलालों से बच्चा खरीदकर दो लाख रुपये में बड़े शहरों के दलालों को बेचने के मामले में नया खुलासा हुआ है। दलालों और मुख्य आरोपितों से आमने-सामने की पूछताछ में खुलासा हुआ कि इन लोगों ने एक-दो नहीं बल्कि 20 कलेजे के टुकड़े बेचे थे। इन नवजातों को हैदराबाद, गुजरात और दिल्ली में दलालों को बेच दिया गया। आरोपियों से पूछताछ अभी जारी है, जिससे यह आंकड़ा और बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
दरअसल, मुख्य आरोपी राजकुमारी ने अपना जाल आदिवासी अंचल के गांवों और बस्तियों तक फैला रखा है. गांव या ढाणी के दलालों के जरिए उसे जानकारी मिलती थी कि फलां महिला को बच्चा होने वाला है और उसके पहले से ही चार-पांच बच्चे हैं तो वह उस महिला से संपर्क में रहने की बात करती थी। पैसे के लालच में दलाल भी गर्भ में पल रहे बच्चे के जन्म का इंतजार करते हैं और बच्चे को माता-पिता से 10 से 15 हजार रुपए में खरीद लेते हैं और कुछ रकम बढ़ाकर राजकुमारी को दे देते हैं। फिर राजकुमारी अपने शहरी दलालों के माध्यम से इन बच्चों को महानगरों में बेचती थी। मामले के खुलासे के बाद फलासिया थाना पुलिस ने दिन-रात छापेमारी कर तीनों आरोपितों के परिजनों को गिरफ्तार कर लिया। सबसे ज्यादा बच्चे फलासिया व बागपुरा से खरीदे गए हैं। झाड़ोल, बागपुरा, फलासिया थाना पुलिस को पिछले चार साल से झाड़ोल सीओ सर्कल में हो रहे बाल तस्करी की भनक तक नहीं लगी।
मुख्य आरोपी राजकुमारी व आठ अन्य आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि इन्होंने 6 से 15 दिन के 13 बच्चों की खरीद-फरोख्त की थी। आरोपी धनराज पुत्र शिवलाल व उसकी पत्नी वार्की मीणा निवासी बलवी बोलिया बागपुरा ने सात दिन के बच्चे को चार साल पहले भैरूलाल को बेच दिया था। इसके बाद इसे राधा साहू और राजकुमारी को दे दिया गया, जिन्होंने इसे हैदराबाद में शाहिना बाजी को बेच दिया। दुर्गा पुत्री रामलाल निवासी बागपुरा के खाती कामड़ी के भैरूलाल ने 4 साल पहले 6-7 दिन की बच्ची को खरीदा था। बाद में इसे राधा साहू और राजकुमारी को दे दिया। राधा ने बताया कि फिलहाल वह शेल्टर होम में है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि बच्ची किस शेल्टर होम में है।