उदयपुर। फतहसागर-स्वरूपसागर लिंक नहर के 134 साल पुराने दोनों गेट बदल दिए गए हैं। दाेनाें ही गेटों के ऊपर प्लेटफार्म पर जाने के लिए सीढ़ियां भी बनाई जा चुकी हैं। यह काम पूरा होने के बाद शुक्रवार को स्वरूपसागर के चारों गेट बदलने का काम भी शुरू कर दिया गया। हालांकि, स्वरूप सागर का लिफ्टिंग सिस्टम पुराना ही रहेगा। लिंक नहर के गेट बदलने के साथ ही इनकी तकनीक में भी बदलाव किया गया है। पहले गेट खाेलने का सिस्टम नीचे लगा हुआ था। इसमें हाथ से चाबी घुमाकर गेट खाेले जाते थे। अब इन्हें खोलने का सिस्टम प्लेटफार्म के ऊपर ही लगाया गया है। इसमें ऑटोमेटिक (मोटर) और मैन्युअली (चाबी) दोनों सिस्टम लगाए गए हैं। वैसे गेट हमेशा मोटर से ही खोले जाएंगे, लेकिन कभी कोई खराबी होने या बिजली नहीं हाेने की स्थिति में चाबी से भी गेट खाेल सकते हैं। चाबी वाले सिस्टम से गेट को 1 इंच तक खाेलने में 3 से 4 मिनट लगते हैं। माेटर से इस काम में महज 30 सेकंड का वक्त लगेगा।
जल संसाधन विभाग ने लिंक नहर के गेटों पर 60 लाख रुपए खर्च किए हैं। इन गेटों को वर्ष 1889 में लगाए जाने के बाद पहली बार बदला जा रहा है। मेवाड़ स्टेट के समय फतहसागर झील काे बनाने के लिए विदेशी इंजीनियर टाॅमसन काे रखा गया था। उन्हीं ने इन गेटों को डिजाइन किया था। तब दोनों गेट इंग्लैंड से मंगवाए गए थे। नए गेट स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) से स्पेशल ऑर्डर पर तैयार करवाए गए हैं। स्टील से बने नए गेटों की उम्र करीब 20 साल रहेगी। हालांकि पानी की क्वालिटी और फ्लो के हिसाब से इनकी उम्र कम या ज्यादा रह सकती है। नए सिस्टम के चलते विभाग को अब पानी डायवर्ट करने के दौरान इन्हें ठोकने-पीटने और रेत के कट्टे लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अधिकारियाें के अनुसार अभी इस सिस्टम की टेस्टिंग नहीं हुई है। इधर, शुक्रवार को ठेका फर्म की टीम ने स्वरूप सागर के लिफ्टिंग सिस्टम की मरम्मत की। अब झील में स्टोपर लगाने का काम किया जाएगा।