बांसवाड़ा। जिले में सरकारी एंबुलेंस की लड़खड़ाती व्यवस्था ने एक मरीज की जान ले ली. मरीज को महात्मा गांधी चिकित्सालय ले जा रही एम्बुलेंस के बीच रास्ते में खराब हो जाने के कारण उसकी मौत हो गई. मरीज के परिजन बीच सड़क पर चीखते-पुकारते रहे, लेकिन 40 मिनट तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली.
मरीज की बिगड़ती हालत के चलते बेटी-दामाद ने एंबुलेंस को एक किलोमीटर तक धक्का भी मारा, लेकिन कोई कोशिश सफल नहीं हुई. हॉस्पिटल पहुंचने पर मरीज को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. मामला बांसवाड़ा दानापुर का है. जानकारी के अनुसार प्रतापगढ़ जिले के सूरजपुरा गांव निवासी तेजिया गणावा अपनी बेटी के ससुराल बांसवाड़ा के भानुपरा आए थे.
यहां करीब तीन दिन तक वह बेटी और नाती के साथ रहे. इस दौरान अचानक तेजपाल खेत में खड़े-खड़े गिर गए. जिस पर उसको हॉस्पिटल ले जाने के लिए तेजपाल के दामाद मुकेश मईड़ा ने 108 पर फोन कर एम्बुलेंस मंगवाई. मुकेश बांसवाड़ा में किराए का कमरा लेकर REET की तैयारी कर रहा है. उसने सबसे पहले एंबुलेंस 108 को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस सवा घंटे देरी से पहुंची.
मरीज को लेकर एंबुलेंस पहले घोड़ी तेजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. वहां ई सी जी मशीन नहीं होने का हवाला देकर स्टाफ ने मरीज को छोटी सरवन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा, लेकिन परिवार ने मरीज को सीधे जिला अस्पताल ले जाने का फैसला लिया. एंबुलेंस मरीज को लेकर महात्मा गांधी चिकित्सालय ले जाया रहा था कि रतलाम रोड पर टोल के आगे एम्बुलेंस बंद हो गई. पता चला डीजल खत्म हो गया है. एंबुलेंस के पायलेट ने पांच सौ रुपए देकर मरीज के रिश्तेदार को बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा. डीजल लेकर आने में समय लगा. परिजन बाइक की मदद से डीजल लेकर वहां पहुंचे, लेकिन तब भी एंबुलेंस चालू नहीं हुई.
एंबुलेंस को चालू करने के लिए परिवार ने करीब एक किलोमीटर तक धक्का भी मारा. थक हारकर परिवार ने एंबुलेंस के ड्राइवर के आगे हाथ फैलाए और दूसरी एंबुलेंस मंगाने को कहा. इसके बाद परिवार के कहने पर एंबुलेंस चालक ने दूसरे चालक को फोन कर दूसरी एंबुलेंस बुलाई. तब कहीं 40 मिनट के अंतराल में दूसरी एंबुलेंस मौके पर पहुंची. इसके बाद जो हुआ उसकी परिवार को कल्पना भी नहीं की थी. बांसवाड़ा के जिला अस्पताल में डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित किया, जबकि दूसरी एंबुलेंस के पहुंचने तक उसकी सांसें चल रही थीं. मामला दो दिन पुराना है, लेकिन इसके फोटो अब वायरल हो रहे हैं.
पीड़ित मुकेश ने बताया कि उसके ससुर की तबीयत करीब 11 बजे बिगड़ी थी. एंबुलेंस सवा 12 बजे आई थी. इसके बाद करीब 3 बजे यानी चार घंटे बाद पेशेंट जिला अस्पताल पहुंचा, जहां डॉक्टर देखते ही मरीज को मृत घोषित किया. मुकेश का कहना है कि दूसरी एंबुलेंस आने तक उसके ससुर की धड़कन बनी हुई थी. समय पर इलाज मिल जाता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता.