प्रशासन ने बिना प्लानिंग के तोड़े स्कूल के 9 कमरे, छात्रों की पढाई बाधित
टोंक। टोंक जहां एक और राज्य सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। दूसरी ओर कस्बे मालपुरा स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक बालिका विद्यालय में खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं। लोक निर्माण विभाग ने यहां के कमरों को असुरक्षित घोषित कर दिया था। जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने बिना नए कमरों की स्वीकृति के ही कमरों को ढहा दिया. जिससे छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल में 500 लड़कियां पढ़ती हैं। लेकिन वर्तमान में बच्चों को पढ़ाने के लिए चार कमरे ही उपलब्ध हैं। पहले स्कूल में कुल 18 कमरे थे। जिसमें से 9 कमरों को असुरक्षित घोषित कर तोड़ा गया। वहीं, 5 कमरों की मरम्मत का काम चल रहा है। स्कूल प्रशासन की ओर से उच्चाधिकारियों के निर्देश पर 9 कमरों को तोड़ा गया, लेकिन उनके स्थान पर नए कमरे बनाने के लिए विभागीय स्तर पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हालांकि छात्राओं की परेशानी को थोड़ा कम करने के लिए स्कूल प्रशासन ने टेंट लगवा दिया है. लेकिन टेंट में क्लास लेने से जहां शिक्षक भी पढ़ाने में रुचि नहीं ले रहे हैं वहीं लड़कियों को भी पढ़ाई का विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा है. स्कूल प्रशासन का कहना है कि कक्षा 1 से 12 तक के लिए करीब 20 कमरों की जरूरत है। कमरे नहीं होने के कारण छात्राएं खुले में पढ़ने को विवश हैं।
अभी तक राज्य सरकार की किसी भी योजना द्वारा विद्यालय में कमरों के नवीन निर्माण के लिए कोई योजना पारित नहीं की गई है। हाल ही में जब पुलिस महानिरीक्षक आरएसी किशन सहाय स्कूल पहुंचे तो छात्राओं ने उन्हें भी इस समस्या के बारे में बताया था. इस पर किशन सहाय ने मामले की गंभीरता को लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन आज तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है
स्कूल के प्रधानाचार्य अनुपम कालरा ने बताया कि उच्चाधिकारियों के आदेश पर दो माह पहले कमरों को खारिज किए जाने के बाद 9 कमरों को तोड़ा गया था. अभी तक उनके पास नए कमरे बनाने की कोई योजना नहीं आई है। उन्होंने नए कमरे बनवाने के लिए उच्चाधिकारियों को मांग पत्र भेजा है। अल्पसंख्यक विभाग की ओर से भी एक योजना आई है। उसमें भी स्कूल की ओर से प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन अब तक स्कूल को किसी भी विभाग से कोई पत्र नहीं मिला है। ऐसे में खुले आसमान के नीचे लड़कियों को पढ़ाना हमारी मजबूरी है। स्कूल स्तर पर टेंट लगाकर क्लासरूम बना दिए गए हैं। ताकि लड़कियों की पढ़ाई ठीक से चल सके।