शहर में आयोजित बाल मेला में 500 प्रतिभागियों के साथ 45 मॉडलों ने लिया भाग
बाड़मेर। बाड़मेर ग्राम पंचायत दुदिया कला के रौपरावी में शुक्रवार को अजीम प्रेमजी फाउंडेशन व शिक्षा विभाग द्वारा बालिकाओं के सशक्तिकरण के साथ-साथ बालक-बालिकाओं के कौशल को बढ़ावा देने के लिए बाल मेले का आयोजन किया गया. मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि धोरीमन्ना सीबीईओ खेराजराम गोदारा व अपर मुख्य खंड शिक्षा अधिकारी डॉ. रूप सिंह जाखड़, प्रो. पंचराम गोदारा, सरपंच प्रतिनिधि चेनाराम चौधरी व दुदिया कला पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी भंवरलाल बेनीवाल, ग्रामीण विकास संस्थान डूंगराराम राव ने किया। इसमें बाल वैज्ञानिकों ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए तरह-तरह के मॉडल बनाकर मेहमानों के सामने रखे। रौप्रवी सवेरोन का ताला का मॉडल सबसे अच्छा रहा। अतिथियों ने प्रतिभागियों व शिक्षकों के मार्गदर्शन की सराहना की।
अतिथियों ने बाल मेला देखने के बाद प्रतिभागियों से मॉडलों के बारे में जानकारी ली। प्रभारी शिवम जांगिड़ ने बताया कि मेले में दूधिया कला पीईईओ के 5 स्कूलों के प्रतिभागियों ने भाग लिया. मैं इसमें हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, खेलकूद व मनोरंजन व रचनात्मकता आदि के लिए कई रोचक गतिविधियां दी गईं। बाल मेला में 5 विद्यालयों के 500 प्रतिभागियों सहित 45 मॉडलों ने भाग लिया। मंच संचालन पोकाराम थोरी ने किया। बाल मेले में बच्चों ने स्टॉल लगाकर अपने हुनर का प्रदर्शन किया। विद्यालय में प्रतिभागियों ने विशेष रूप से चुनाव प्रक्रिया (बूथ), पोस्टर, मॉडल, खेल, पहेली, कबाड़ से जुगाड़, बालिका शिक्षा, बालक-बालिका में भेदभाव, बाल अधिकार, नवाचार जैसे मॉडल प्रस्तुत किए। इस मौके पर दूधिया कला के सभी शिक्षक पीइओ, आंगनबाडी कार्यकर्ता व ग्रामीण आदि मौजूद रहे।
बाल मेला जैसी सह पाठ्यचर्या गतिविधियों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। ऐसे आयोजनों से प्रतिभाओं को उभरने का मौका मिलता है। -भंवराराम बेनीवाल, प्राचार्य, रौप्रवी दुदिया कला। मॉडलों को देखकर बच्चों में स्वयं कार्य करने की प्रवृत्ति का विकास होता है जिससे निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। बाल मेलों का आयोजन कर बच्चे अपनी भावनाओं और सपनों को साझा करते हैं। ओमप्रकाश पूनिया, शिक्षक।बाल मेले का उद्देश्य स्कूल में ऐसा माहौल बनाना है जहां बच्चे और शिक्षक मिलकर किताबों को वास्तविक जीवन के उदाहरणों से जोड़कर समझें।
-ममता जानी, शिक्षिका।