नागौर। नागौर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति एवं नाम प्रकाशन देह के संयुक्त तत्वावधान में नागौर जिले के डेह में प्रदेश का सबसे बड़ा मायड़ भाषा महोत्सव आयोजित किया गया. जिसमें वक्ताओं ने मायड़ भाषा राजस्थानी के बारे में संबोधित किया, इस दौरान मायड़ भाषा में लिखी गई कई लेखकों की पुस्तकों का विमोचन किया गया. राज्य के कई साहित्यकारों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं राजस्थानी के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. अर्जुन देव चारण ने कहा कि राजस्थानी पहचान की मांग करने में साहित्यकारों का कोई स्वार्थ, लोभ या लालच नहीं है, बल्कि यह मांग राजस्थान के आम युवाओं की आजीविका के लिए है।
साहित्यकार समाज को जागरूक करने का कार्य अपना कर्तव्य समझकर कर रहा है। कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सम्मानित साहित्यकारों को शुभकामना संदेश भेजकर बधाई दी. आयोजक संस्था के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम अध्यक्ष एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के पूर्व अध्यक्ष प्रो. देव कोठारी ने कहा कि यह प्रदेश का सबसे बड़ा भाषा समागम है। विशिष्ट अतिथि मितेश निर्मोही ने आज के राजस्थानी साहित्य सृजन की सराहना करते हुए विदेशी भाषाओं से राजस्थानी अनुवाद की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम संयोजक लक्ष्मण दान कविया ने बताया कि राज्य के सबसे बड़े साहित्यिक महोत्सव में कुल 24 साहित्यकारों को उनके रचनात्मक योगदान के लिए सम्मानित किया गया. राजस्थानी के प्रसिद्ध इतिहासकार, समीक्षक एवं अनुवादक डॉ. देव कोठारी को उनकी दीर्घ एवं उत्कृष्ट साहित्यिक सेवा के लिए 51,000 रुपये के 'रूपचंद समदड़िया राजस्थानी भाषा सेवा शिखर पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। शेष 23 को 11-11 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार एवं महाविद्यालयीन शिक्षा के प्राध्यापक डॉ. गजादान चारण 'शक्तिसुत' ने किया।