महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में चाचा-भतीजे की लड़ाई सुर्खियों में है। शरद पवार के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में टूटकर एक गुट राज्य के सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में शामिल हो गया। अब शरद गुट के नेताओं के हालिया बयान से राज्य की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है।
दरअसल, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने पार्टी के अंदर हुई टूट को मानने से इनकार किया है और कहा कि कुछ लोगों ने अलग राजनीतिक रुख अपनाया है। आखिर शरद पवार ने क्या बयान दे दिया जिससे राजनीति हलचल तेज हो गई? क्या ऐसा बयान किसी और नेता ने दिया है? इस पर एमवीए का क्या रुख है? इंडिया गठबंधन की आगामी बैठक का इस पर कोई प्रभाव पड़ेगा? चुनाव आयोग में एनसीपी का मामला कहां पहुंचा? आइये जानते हैं…
शरद पवार ने क्या बयान दे दिया जिससे राजनीति हलचल तेज हो गई?
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को एक बार फिर अपनी पार्टी में टूट से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि कुछ विधायक पार्टी छोड़कर चले गए हैं, लेकिन केवल विधायकों का मतलब पूरी राजनीतिक पार्टी नहीं है।
शरद पवार ने कोल्हापुर में कहा कि वह एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और जयंत पाटिल इसकी राज्य इकाई के प्रमुख हैं। एनसीपी टूटी नहीं है। हालांकि यह सच है कि कुछ विधायक चले गए हैं, लेकिन विधायकों का मतलब राजनीतिक पार्टी नहीं है।
बागियों का नाम लेकर इतना महत्व क्यों दिया जा रहा
यह पूछे जाने पर कि क्या वह पार्टी के बागियों के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं, पवार ने कहा, 'बागियों के नाम लेकर उन्हें महत्व क्यों दिया जा रहा है।' इससे पहले शुक्रवार को जब पवार से उनकी बेटी और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के बयान के बारे में पूछा गया कि एसीपी टूटी नहीं है और अजित पवार उसके नेता बने रहेंगे, तो उन्होंने कहा, 'हां... इस बारे में कोई विवाद नहीं है।' लेकिन कुछ घंटे बाद पवार ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया।
आगे पवार ने कहा कि मैंने यह नहीं कहा कि अजित पवार हमारे नेता हैं। यह आपकी (मीडिया की) गलती है। यह सुप्रिया ने कहा था और यह अखबारों में भी छपा। उन्होंने जिस तरह का रुख अपनाया है, उसे देखते हुए वह हमारे नेता नहीं हैं।
तो आखिर सुप्रिया सुले ने क्या बयान दिया था?
सुप्रिया सुले के जिस बयान का शरद पवार जिक्र कर रहे हैं वो गुरुवार का है। एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने पुणे में कहा था कि पार्टी में कोई बंटवारा नहीं है और भाजपा केवल पार्टी के कुछ विधायकों को सत्तारूढ़ गठबंधन में लाने में कामयाब रही है।
उन्होंने कहा, 'पार्टी बिल्कुल भी टूटी नहीं है, कुछ ने भाजपा के साथ जाने का अलग निर्णय लिया है। हमने कार्रवाई के लिए विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की है। एनसीपी में कोई फूट नहीं है। एनसीपी के प्रमुख शरद पवार हैं और राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल हैं। यही पार्टी की हकीकत और स्थिति है। एनसीपी का भाजपा के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं है।'
इन बयानों पर एमवीए के नेताओं की क्या प्रतिक्रिया है?
महाराष्ट्र में फिलहाल कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी विपक्षी गठजोड़ महाविकास अघाड़ी का हिस्सा हैं। ऐसे में शरद पवार के बयानों से तमाम दलों में भ्रम की स्थिति दिखाई पड़ती है। हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा कि शरद पवार अपनी पार्टी छोड़ने वालों से लड़ने के लिए गुरिल्ला युद्ध की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ युद्ध के मैदान में लड़ रही है।
राउत ने कहा, 'शरद पवार कभी भी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। वह महा विकास अघाड़ी और इंडिया गठबंधन के एक अहम नेता हैं।' उन्होंने कहा, 'इसका मतलब यह नहीं है कि वह दो पत्थरों पर खड़े हैं। शरद पवार के बारे में किसी को कोई भ्रम नहीं है।'
शिवसेना (यूबीटी) एमएलसी अंबादास दानवे ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि शरद पवार के ऐसे बयान राज्य के कार्यकर्ताओं और लोगों के मन में भ्रम पैदा कर रहे हैं। अगर वह कह रहे हैं कि अजित पवार उनके नेता हैं जो अब एनसीपी में हैं, तो निश्चित रूप से उनके रुख को लेकर भी भ्रम है।' हालांकि, उन्होंने दावा किया कि इस तरह के बयानों से विपक्षी एमवीए गठबंधन की एकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दानवे ने कहा, 'मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि मुद्दा चुनाव आयोग के पास चला गया है और पार्टी के नाम, चुनाव चिह्न और संविधान की रक्षा के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं।' उधर महाराष्ट्र कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा कि इस संबंध में हमारा नेतृत्व शरद पवार से बात करेगा।
चुनाव आयोग में एनसीपी का मामला कहां पहुंचा?
बयानों से इतर एनसीपी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर शरद पवार और भतीजे अजित पवार में रस्साकशी चल रही है। इससे पहले 16 अगस्त को चुनाव आयोग (ईसीआई) ने दोनों पक्षों के लिए नोटिस का जवाब देने की मोहलत बढ़ाई थी।
ईसीआई ने एनसीपी के विरोधी गुटों को पार्टी के नाम और निशान से संबंधित नोटिस का जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। इससे पहले चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को मामले में नोटिस जारी किया था। आयोग ने दोनों खेमों से असली पार्टी होने के दावे से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। चुनाव आयोग ने दोनों खेमों को तय समय में दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने को कहा था।
इससे पहले पांच जुलाई को अजित पवार गुट की ओर से निर्वाचन आयोग को 40 सांसदों, विधायकों और एमएलसी के हलफनामों के साथ-साथ कुछ एनसीपी सदस्यों का एक प्रस्ताव भी मिला था। इसमें उन्होंने अजित पवार को एनसीपी प्रमुख के रूप में चुना था। इस संबंध में पत्र 30 जून को लिखा गया था। इससे दो दिन पहले अजित पवार ने एनसीपी को दो फाड़ कर दिया था और आठ मंत्रियों के साथ एनडीए सरकार के मंत्री