मुंबई। सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) 82वां जन्मदिन दक्षिण मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान (Yashwantrao Chavan Foundation) मनाया गया। इस मौके पर उन्होंने पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पवार ने रविवार को नागपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के भाषण में विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने पर अपनी नाराजगी प्रकट की। उन्होंने सवाल किया कि सरकारी कार्यक्रम में विपक्ष के खिलाफ टिप्पणी करने में कितनी बुद्धिमानी है?
दरअसल, पीएम मोदी ने रविवार को नागपुर में समृद्धि महामार्ग, एम्स का उद्घाटन करने के अवसर पर देश में आ रही राजनीतिक विकृति के प्रति आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि कुछ नेता शार्टकट से सत्ता हासिल करना चाहते हैं, जबकि देश को सतत विकास की आवश्यकता है। पीएम ने कहा था कि अल्पकालीन लाभ की राजनीति से देश का भला नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री के भाषण में विपक्षी नेताओं की आलोचना पर सवाल उठाते हुए पवार ने कहा कि उन्होंने कई प्रधानमंत्रियों के कार्यक्रम देखे और भाषण सुने हैं। जवाहरलाल नेहरू कभी भी विपक्ष की आलोचना नहीं करते थे, उनके बाद के प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार के वक्त ही विपक्ष दलों पर टिप्पणी करते थे। अपनी भूमिका रखिए, लेकिन विपक्ष- विपक्ष के नेता भी लोकतंत्र की संस्थाएं हैं, उनका सम्मान बनाए रखना चाहिए। उन्होंने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद से यह परंपरा चल रही थी, लेकिन अब इसका पालन नहीं किया जा रहा है। राकांपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने समृद्धि महामार्ग का विरोध किया। मुझे जानकारी नहीं की, किसने विरोध किया था।
स्याही फेंकने की घटना का समर्थन नहीं
उन्होंने कहा कि विपक्ष को आलोचना करने का अधिकार है, सत्ताधारियों पर टीका-टिप्पणी होनी चाहिए, लेकिन आलोचना करने का मतलब किसी पर स्याही फेंकना भी नहीं है। हम इसका कभी समर्थन नहीं करेंगे। उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री ने फुले, आंबेडकर, कर्मवीर भाऊराव पाटिल का जिक्र किया। फुले, आंबेडकर के जीवन के बारे में संपूर्ण देश जानता है। कर्मवीर भाऊराव पाटिल ने जीवनभर ज्ञान का दान दिया। पैसे नहीं होने पर उन्होंने अपने पत्नी के गहने बेचकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए दो वक्त के भोजन की व्यवस्था की। पवार ने याद किया कि वे उस रैयत संस्था के अध्यक्ष हैं, जिसका आदर्श वाक्य कमाओ और सीखो है। महात्मा फुले, आंबेडकर के बारे में बोलते हुए भीख मांगने शब्द का उपयोग नहीं होता तो यह सब नहीं होता। ठीक है, जो होना था, वह हो गया, लेकिन उसके बाद तुरंत बताया कि उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री मिल मजदूर के बेटे हैं। वे मंत्री हैं, पहले अध्यक्ष थे, इसके पहले भी मंत्री थे और सामान्य परिवार का व्यक्ति सत्ता तक पहुंचा, ये उदाहरण क्या सिर्फ तुम्हारे पास ही हैं? कितने लोग हैं, जिन पर टीका-टिप्पणी हुई, लेकिन उन्होंने कभी भी ऐसा ढोल नहीं पीटा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा कभी नहीं होता तो अच्छा होता। इस मौके पर राकांपा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, पूर्व मंत्री अजित पवार, हसन मुश्रीफ, एकनाथ खडसे, दिलीप वलसे पाटिल ने शरद पवार को बधाई दी।
Source : Hamara Mahanagar
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