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Update: 2022-07-29 14:32 GMT

विदिशा। शहर के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय प्रबंधन ने बच्चों के लिए बुक बैंक बनाया है। जिसके कारण बच्चों को शासन स्तर से किताबों के वितरण में लेट लतीफी से परेशान नहीं होना पड़ता। अंकसूची देते समय ही अधिकांश बच्चों से पुस्तकें वापस ले, ली जाती हैं जिससे हर साल करीब 5 लाख रुपये की पुस्तकों की बचत हो जाती है।

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प्रबंधन के मुताबिक स्कूली बच्चों के अलावा जरूरत पढ़ने पर आसपास के स्कूलों को भी बुक बैंक से पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाती हैं। बता दें कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सरकार द्वारा कक्षा एक से 12वीं तक निश्शुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन यह पुस्तकें कभी-कभी समय पर नहीं पहुंचती।

जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है, लेकिन शहर के उत्कृष्ट विद्यालय में बुक बैंक की स्थापना के चलते हर साल 60 फीसद से अधिक बच्चों से उनके अगली कक्षा में आते ही पुस्तके वापस ले, ली जाती हैं, जो अगले सत्र में दूसरे विद्यार्थियों के काम आ जाती हैं। प्राचार्य इंदुमति खरे का कहना है कि हम पुस्तकों के आने का इंतजार नहीं करते।

सत्र शुरू होते ही बच्चों को पुरानी पुस्तके उपलब्ध करा देते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होती। उन्होंने बताया कि जरूरत के मुताबिक हम आसपास के स्कूलों में भी पुस्तकें उपलब्ध करा देते हैं। उन्होंने बताया कि जब परीक्षा परिणाम घोषित हो जाते हैं और बच्चे पुस्तकें मार्कसीट लेने आते हैं। कक्षाध्यापक उसी दौरान उनसे पुस्तकें वापस मंगा लेते हैं। इसके बाद जितनी जरूरत होती है उतनी ही पुस्तकों की हम डिमांड भेजते हैं।

अप्रैल में बांट दी पुस्तकें
जिले में अभी तक कई स्कूलों तक इस सत्र की पुस्तकें नहीं पहुंची, लेकिन उत्कृष्ट विद्यालय के बच्चों को अप्रैल माह में ही पुस्तकें बांट दी गई हैं। बुक बैंक प्रभारी हरिहर चतुर्वेदी का कहना है कि स्कूल में एक हजार बच्चे दर्ज हैं, लेकिन अभी तक 50 फीसद ही पुस्तकें आई हैं, लेकिन हमारे पास पुरानी पुस्तकें होने के कारण हमने अधिकांश बच्चों को उपलब्ध करा दी हैं। उन्होंने बताया कि पुरानी पुस्तके वापस ले लेने से हम नई पुस्तक कम मंगाते हैं जिससे करीब 5 लाख रुपये की सरकार की बचत हो जाती है। जरूरत के मुताबिक हम हांसुआ, लश्करपुर, माडल गंजबासौदा, ठर्र, सोंठिया, चौपड़ा आदि स्कूलों में बुक बैंक से पुस्तकें उपलब्ध करा चुके हैं।
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